ऋतु Poetry (page 10)

मैं उठा रक्खूँ न कुछ इन के लिए

रियाज़ ख़ैराबादी

किसी से वस्ल में सुनते ही जान सूख गई

रियाज़ ख़ैराबादी

जफ़ा में नाम निकालो न आसमाँ की तरह

रियाज़ ख़ैराबादी

यार आया है अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार दिखाओ

रिन्द लखनवी

क्यूँ अंधेरों का मुसाफ़िर है मुक़द्दर अपना

रिफ़अतुल क़ासमी

जो रिवायात भूल जाते हैं

रिफ़अत सुलतान

नक़ाब-ए-रुख़ उठा कर हुस्न जब जल्वा-फ़िगन होगा

रिफ़अत सेठी

एक बे-रंग से ग़ुबार में हूँ

रिफ़अत सरोश

हर दिन जिस पर फूल खिलें वो बे-मौसम की डाल नहीं मैं

रज़्ज़ाक़ अफ़सर

कुंज-ए-इज़्ज़त से उठो सुब्ह-ए-बहाराँ देखो

रज़ी तिर्मिज़ी

अब भी उसी तरह से इसे इंतिज़ार है

रज़ी रज़ीउद्दीन

आए हम शहर-ए-ग़ज़ल में तो इस आग़ाज़ के साथ

राज़ी अख्तर शौक़

हवस-ए-ख़लवत-ए-ख़ुर्शीद-ओ-निशाँ और सही

रविश सिद्दीक़ी

कुछ हद भी ऐ फ़लक सितम-ए-ना-रवा की है

रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी

मैं जंग जीत के जब्र-ओ-अना की हार गया

रासिख़ इरफ़ानी

शुऊर-ए-ज़ीस्त सही ए'तिबार करना भी

रशक खलीली

ये मोहब्बत का वार है साहब

राशिद क़य्यूम अनसर

सवाल गूँज के चुप हैं जवाब आए नहीं

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

सुना कि ख़ूब है उस के दयार का मौसम

राशिद अनवर राशिद

न छोड़ा दिल-ए-ख़स्ता-जाँ चलते चलते

रशीद लखनवी

जो हवा है सूरत-ए-बाद-ए-मुख़ालिफ़ तेज़ है

रशीद लखनवी

रोता हमें जो देखा दिल उस का पिघल गया

रंजूर अज़ीमाबादी

हम जूँ चकोर ग़श हैं अजी एक यार पर

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

मुस्तक़िल दीद की ये शक्ल नज़र आई है

राम कृष्ण मुज़्तर

ख़िरामाँ शाहिद-ए-सीमीं बदन है

राम कृष्ण मुज़्तर

मोड़ था कैसा तुझे था खोने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़

राजेश रेड्डी

ग़म को दिल का क़रार कर लिया जाए

राजेश रेड्डी

बाहम सुलूक-ए-ख़ास का इक सिलसिला भी है

राज नारायण राज़

सियाह है दिल-ए-गीती सियाह-तर हो जाए

रईस अमरोहवी

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