ऋतु Poetry (page 11)

सियाह है दिल-ए-गीती सियाह-तर हो जाए

रईस अमरोहवी

हब्स के आलम में महबस की फ़ज़ा भी कम नहीं

रईस अमरोहवी

दयार-ए-शाहिद-ए-बिल्क़ीस-अदा से आया हूँ

रईस अमरोहवी

अपने को तलाश कर रहा हूँ

रईस अमरोहवी

दब गईं मौजें यकायक जोश में आने के बा'द

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

कभी किसी से न हम ने कोई गिला रक्खा

इरफ़ान सत्तार

गुज़र गई जो चमन पर वो कोई क्या जाने

इक़बाल सफ़ी पूरी

दोस्तों के हू-ब-हू पैकर का अंदाज़ा लगा

इक़बाल नवेद

सुना है उस ने ख़िज़ाँ को बहार करना है

इक़बाल कैफ़ी

आँखों को इंतिशार है दिल बे-क़रार है

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

अपना घर छोड़ के हम लोग वहाँ तक पहुँचे

इक़बाल अज़ीम

कभी तो चश्म-ए-फ़लक में हया दिखाई दे

इनआम आज़मी

यूँही अक्सर मुझे समझा बुझा कर लौट जाती है

इम्तियाज़ अहमद

जब ख़ुदा को जहाँ बसाना था

इम्दाद इमाम असर

हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है

इम्दाद इमाम असर

ख़ुर्शीद फ़िराक़ में तपाँ है

इमदाद अली बहर

कभी देखें जो रू-ए-यार दरख़्त

इमदाद अली बहर

जल्वा-ए-अर्बाब-ए-दुनिया देखिए

इमदाद अली बहर

हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते

इमदाद अली बहर

हर तरफ़ मज्मा-ए-आशिक़ाँ है

इमदाद अली बहर

फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

इमदाद अली बहर

दुपट्टा वो गुलनार दिखला गए

इमदाद अली बहर

दाग़ बैआ'ना हुस्न का न हुआ

इमदाद अली बहर

चुनने न दिया एक मुझे लाख झड़े फूल

इमदाद अली बहर

चार दिन है ये जवानी न बहुत जोश में आ

इमदाद अली बहर

आहों से होंगे गुम्बद-ए-हफ़्त-आसमाँ ख़राब

इमदाद अली बहर

क्या रोज़-ए-बद में साथ रहे कोई हम-नशीं

इमाम बख़्श नासिख़

हो गया ज़र्द पड़ी जिस पे हसीनों की नज़र

इमाम बख़्श नासिख़

रिफ़अत कभी किसी की गवारा यहाँ नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

दिल में पोशीदा तप-ए-इश्क़-ए-बुताँ रखते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

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