ऋतु Poetry (page 12)

ये बहार वो है जहाँ रही असर-ए-ख़िज़ाँ से बरी रही

इलियास इश्क़ी

अफ़्सुर्दगी भी हुस्न है ताबिंदगी भी हुस्न

इज्तिबा रिज़वी

इक अख़्गर-ए-जमाल फ़रोज़ाँ ब-शक्ल-ए-दिल

इज्तिबा रिज़वी

फ़स्ल-ए-गुल में भी दिखाता है ख़िज़ाँ-दीदा-दरख़्त

इफ़्तिख़ार नसीम

मिशअल-ए-उम्मीद थामो रहनुमा जैसा भी है

इफ़्तिख़ार नसीम

साएबान

इफ़्तेख़ार जालिब

थकन तो अगले सफ़र के लिए बहाना था

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रविश में गर्दिश-ए-सय्यारगाँ से अच्छी है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कोई मुज़्दा न बशारत न दुआ चाहती है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अज़ाब-ए-वहशत-ए-जाँ का सिला न माँगे कोई

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ज़ेहन ओ दिल के फ़ासले थे हम जिन्हें सहते रहे

इफ़्फ़त ज़र्रीं

घबरा गए हैं वक़्त की तन्हाइयों से हम

इफ़्फ़त ज़र्रीं

लोग पूछेंगे

इब्न-ए-इंशा

इस शहर के लोगों पे ख़त्म सही ख़ु-तलअ'ती-ओ-गुल-पैरहनी

इब्न-ए-इंशा

हम ख़ुद भी हुए नादिम जब हर्फ़-ए-दुआ निकला

हिलाल फ़रीद

आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के

हीरा लाल फ़लक देहलवी

क़ल्ब को बर्फ़-आश्ना न करो

हज़ीं लुधियानवी

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

फिरी सी देखता हूँ इस चमन की कुछ हवा बुलबुल

हसरत अज़ीमाबादी

हर तरफ़ है उस से मेरे दिल के लग जाने में धूम

हसरत अज़ीमाबादी

मालूम हुआ कैसे ख़िज़ाँ आती है गुल पर

हसन जमील

राज़-ए-दिल लाते हैं ज़बाँ तक हम

हसन बरेलवी

क्या होता है ख़िज़ाँ बहार के आने जाने से

हसन अकबर कमाल

ग़ज़ल में हुस्न का उस के बयान रखना है

हसन अकबर कमाल

तिश्ना-कामों को यहाँ कौन सुबू देता है

हसन आबिदी

ना-तवाँ वो हूँ कि दम भर नहीं बैठा जाता

हक़ीर

हर ज़र्रा है जमाल की दुनिया लिए हुए

हेंसन रेहानी

नसीम-ए-सुब्ह-ए-बहार आए दिल-ए-हज़ीं को क़रार आए

हनीफ़ फ़ौक़

दिल-ए-नादाँ पे शिकायत का गुमाँ क्या होगा

हनीफ़ फ़ौक़

सुन क़तार अंदर क़तार अश्जार की सरगोशियाँ

हम्माद नियाज़ी

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