ऋतु Poetry (page 4)

दिल-ए-मुज़्तर की दवा कीजिएगा

सय्यद नवाब हैदर नक़वी

इम्तिहान

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

दर्द थमता ही नहीं सीने में आराम के बा'द

सय्यद मोहम्मद असकरी आरिफ़

तसलसुल पाएमाली का मिलेगा

सय्यद अमीन अशरफ़

किसी की इश्वा-गरी से ब-ग़ैर-ए-फ़स्ल-ए-बहार

सय्यद आबिद अली आबिद

दिल है आईना-ए-हैरत से दो-चार आज की रात

सय्यद आबिद अली आबिद

गुलज़ार-ए-वतन

सुरूर जहानाबादी

कभी अपने इश्क़ पे तब्सिरे कभी तज़्किरे रुख़-ए-यार के

सुरूर बाराबंकवी

जब तलक रौशनी-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र बाक़ी है

सुरूर बाराबंकवी

वो आज मुझ से जब मिली तो धुँद छट गई

सुलतान सुबहानी

मैं ख़िज़ाँ को बहार करता हूँ

सुलतान फ़ारूक़ी

जिस को क़रीब पाया उसी से लिपट गए

सुल्तान अख़्तर

तुझे क्या हुआ है बता ऐ दिल न सुकून है न क़रार है

सुलैमान अहमद मानी

सफ़र करो तो इक आलम दिखाई देता है

सुहैल अहमद ज़ैदी

मैं क्या करूँ कोई सब मेरे इख़्तियार में है

सुहैल अहमद ज़ैदी

शाम-ए-फ़िराक़ अपनी फ़रोज़ाँ न कर सके

सुग़रा सब्ज़वारी

मुझे मलाल में रखना ख़ुशी तुम्हारी थी

सुबहान असद

अब ख़िज़ाँ आए या बहार आए

सोज़ नजीबाबादी

नज़्र-ए-ग़म शायद हर अश्क-ए-ख़ूँ-चकाँ करना पड़े

सिराज लखनवी

इस दिल में तो ख़िज़ाँ की हवा तक नहीं लगी

सिराज लखनवी

क़दम तो रख मंज़िल-ए-वफ़ा में बिसात खोई हुई मिलेगी

सिराज लखनवी

मुझे अब हवा-ए-चमन नहीं कि क़फ़स में गूना क़रार है

सिराज लखनवी

जब सीं देखा हूँ यार की सूरत

सिराज औरंगाबादी

ले उड़े ख़ाक भी सहरा के परस्तार मिरी

सिद्दीक़ अफ़ग़ानी

नावक-ज़नी निगाह की ऐ जान-ए-जाँ है हेच

श्याम सुंदर लाल बर्क़

ऐ रश्क-ए-महर कोई भी तुझ सा हसीं नहीं

श्याम सुंदर लाल बर्क़

बरपा तिरे विसाल का तूफ़ान हो चुका

शुजा ख़ावर

वो जिस के दिल में निहाँ दर्द दो-जहाँ का था

शोला हस्पानवी

वो और होंगे जो वहम-ओ-गुमाँ के साथ चले

शोला हस्पानवी

रही दिल की दिल में ज़बाँ तक न पहुँची

शिव रतन लाल बर्क़ पूंछवी

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