भगवान Poetry (page 3)

काएनाती गर्द में बरसात की एक शाम

ज़ाहिद इमरोज़

गाड़ी की खिड़की से देखा शब को उस का शहर

ज़ाहिद फ़ारानी

बरगुज़ीदा हैं हवाओं के असर से हम भी

ज़हीर रहमती

फ़र्ज़ बरसों की इबादत का अदा हो जैसे

ज़हीर काश्मीरी

मिरा ही बन के वो बुत मुझ से आश्ना न हुआ

ज़हीर काश्मीरी

फ़र्ज़ बरसों की इबादत का अदा हो जैसे

ज़हीर काश्मीरी

वो नैरंग-ए-उल्फ़त को क्या जानता है

ज़हीर देहलवी

वो किसी से तुम को जो रब्त था तुम्हें याद हो कि न याद हो

ज़हीर देहलवी

तलाफ़ी वफ़ा की जफ़ा चाहता हूँ

ज़हीर देहलवी

मिलने का नहीं रिज़्क़-ए-मुक़द्दर से सिवा और

ज़हीर देहलवी

क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई

ज़हीर देहलवी

हाथ से हैहात क्या जाता रहा

ज़हीर देहलवी

फ़ित्ना-गर शोख़ी-ए-हया कब तक

ज़हीर देहलवी

अभी से आ गईं नाम-ए-ख़ुदा हैं शोख़ियाँ क्या-क्या

ज़हीर देहलवी

अब भी ख़ुदा-परस्त है दैर-ओ-हरम की क़ैद में

ज़फ़र ताबाँ

उम्र-ए-अबद का मा-हसल इश्क़ का दौर-ए-ना-तमाम

ज़फ़र ताबाँ

उम्र-ए-अबद का मा-हसल इश्क़ का दौर-ए-ना-तमाम

ज़फ़र ताबाँ

यूँही किसी की कोई बंदगी नहीं करता

ज़फ़र मुरादाबादी

तमाम रंग जहाँ इल्तिजा के रक्खे थे

ज़फ़र मुरादाबादी

बे-क़नाअत क़ाफ़िले हिर्स-ओ-हवा ओढ़े हुए

ज़फ़र मुरादाबादी

इन दिनों मैं ग़ुर्बतों की शाम के मंज़र में हूँ

ज़फ़र कलीम

राब्ता क्यूँ रखूँ मैं दरिया से

ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

सोचता हूँ कि अपनी रज़ा के लिए छोड़ दूँ

ज़फ़र इक़बाल

जो बंदा-ए-ख़ुदा था ख़ुदा होने वाला है

ज़फ़र इक़बाल

हम ने आवाज़ न दी बर्ग ओ नवा होते हुए

ज़फ़र इक़बाल

हवा बदल गई उस बेवफ़ा के होने से

ज़फ़र इक़बाल

है कोई इख़्तियार दुनिया पर

ज़फ़र इक़बाल

हद हो चक्की है शर्म-ए-शकेबाई ख़त्म हो

ज़फ़र इक़बाल

दिल को रहीन-ए-बंद-ए-क़बा मत किया करो

ज़फ़र इक़बाल

मेरे अंदर का ग़ुरूर अंदर गुज़रता रह गया

ज़फर इमाम

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