भगवान Poetry (page 4)

दर्द बहता है दरिया के सीने में पानी नहीं

ज़फर इमाम

क्यूँ मैं हाइल हो जाता हूँ अपनी ही तन्हाई में

ज़फ़र हमीदी

झील में उस का पैकर देखा जैसे शोला पानी में

ज़फ़र हमीदी

इरादा हो अटल तो मोजज़ा ऐसा भी होता है

ज़फ़र गोरखपुरी

ग़म इतने अपने दामन-ए-दिल से लिपट गए

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

ना-ख़ुदा छोड़ गए बीच भँवर में तो 'ज़फ़र'

ज़फ़र अज्मी

आ के जब ख़्वाब तुम्हारे ने कहा बिस्मिल्लाह

ज़फ़र अज्मी

हमें सैराब रक्खा है ख़ुदा का शुक्र है उस ने

यासमीन हबीब

अभी गुज़रे दिनों की कुछ सदाएँ शोर करती हैं

यासमीन हबीब

याद-ए-ख़ुदा से आया न ईमाँ किसी तरह

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

जो नज़र किया मैं सिफ़ात में हुआ मुझ पे कब ये अयाँ नहीं

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

ग़फ़लत अजब है हम को दम जिस का मारते हैं

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

ढूँढता हक़ को दर-ब-दर है तू

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

अपना पता मुझे बता बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

आप को भूल के मैं याद-ए-ख़ुदा करता हूँ

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

ये समझ कर फ़क़ीरी ही में है ख़ुदा

यशपाल गुप्ता

तेरे अल्ताफ़ का लुत्फ़ उठाते रहे

यशपाल गुप्ता

मुद्दत हुई है दस्त-ओ-गरेबाँ हुए हमें

यासीन ज़मीर

हर आँख इक सवाल तही-दस्त के लिए

यासीन ज़मीर

उमंगों में वही जोश-ए-तमन्ना-ज़ाद बाक़ी है

याक़ूब उस्मानी

चाहती है आख़िर क्या आगही ख़ुदा-मालूम

याक़ूब उस्मानी

हक़ मुझे बातिल-आश्ना न करे

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

दोस्ती बद बला है इस में ख़ुदा

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

कार-ए-दीं उस बुत के हाथों हाए अबतर हो गया

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

हक़ मुझे बातिल-आशना न करे

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

ख़ुदा गवाह

यहया अमजद

बुतों को देख के सब ने ख़ुदा को पहचाना

यगाना चंगेज़ी

ज़माना ख़ुदा को ख़ुदा जानता है

यगाना चंगेज़ी

क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई

यगाना चंगेज़ी

ख़ुदी का नश्शा चढ़ा आप में रहा न गया

यगाना चंगेज़ी

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