होंठ Poetry (page 6)

इश्क़ के हाथों में परचम के सिवा कुछ भी नहीं

उरूज ज़ैदी बदायूनी

हर क़दम पर मुझे लग़्ज़िश का गुमाँ होता है

उरूज ज़ैदी बदायूनी

बस्ता-लब था वो मगर सारे बदन से बोलता था

उर्फ़ी आफ़ाक़ी

रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत

उनवान चिश्ती

हाए इक शख़्स जिसे हम ने भुलाया भी नहीं

उम्मीद फ़ाज़ली

इल्म ओ फ़न के राज़-ए-सर-बस्ता को वा करता हुआ

उमैर मंज़र

बसंत और होली की बहार

उफ़ुक़ लखनवी

शिद्दत-ए-इज़हार-ए-मज़मूँ से है घबराई हुई

तुफ़ैल बिस्मिल

जाने फिर उस के दिल में क्या बात आ गई थी

त्रिपुरारि

कितने ही तीर ख़म-ए-दस्त-ओ-कमाँ में होंगे

तौसीफ़ तबस्सुम

दिल की बात न मानी होती इश्क़ किया क्यूँ पीरी में

तौसीफ़ तबस्सुम

आख़िर ख़ुद अपने ही लहू में डूब के सर्फ़-ए-विग़ा होगे

तौसीफ़ तबस्सुम

ख़्वाब पहले ले गया फिर रत-जगा भी ले गया

तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी

उस कू मैं हुए हम वो लब-ए-बाम न आया

मीर तस्कीन देहलवी

दिल किस की तेग़-ए-नाज़ से लज़्ज़त-चशीदा है

मीर तस्कीन देहलवी

लब से सुनाऊँ हाल क्या दिल का मिरे हबीब

तासीर सिद्दीक़ी

ख़ुश्क आँखों से कहाँ तय ये मसाफ़त होगी

तारिक़ क़मर

कोई है बाम पर देखा तो जाए

तारिक़ मतीन

उठा लेता है अपनी एड़ियाँ जब साथ चलता है

तनवीर सिप्रा

रोज़ तब्दील हुआ है मिरे दिल का मौसम

तनवीर सामानी

जान मजबूर हूँ

तनवीर मोनिस

नज़ारगी-ए-शौक़ ने दीदार में खींचा

तालीफ़ हैदर

नई ज़मीनों को अर्ज़-ए-गुमाँ बनाते हैं

तालीफ़ हैदर

एक आवाज़

तख़्त सिंह

अजीब हम हैं सबब के बग़ैर चाहते हैं

ताहिर फ़राज़

ज़ेर-ए-लब रहा नाला दर्द की दवा हो कर

ताबिश देहलवी

'ताबिश' हवस-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार कहाँ तक

ताबिश देहलवी

हमा-तन गोश इक ज़माना था

ताबिश देहलवी

बहुत जबीन-ओ-रुख़-ओ-लब बहुत क़द-ओ-गेसू

ताबिश देहलवी

शौक़ के ख़्वाब-ए-परेशाँ की हैं तफ़्सीरें बहुत

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

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