लहर Poetry (page 6)

आवारा हूँ रैन-बसेरा कोई नहीं मेरा

अनवर शऊर

भारी पेड़ों-तले

अनवार फ़ितरत

हवा का तख़्त बिछाता हूँ रक़्स करता हूँ

अंजुम सलीमी

दीवार पे रक्खा तो सितारे से उठाया

अंजुम सलीमी

जब भी कोई बात की आँसू ढलके साथ

अंजुम रूमानी

हम सा दीवाना कहाँ मिल पाएगा इस दहर में

अंजुम लुधियानवी

वा'दा है कि जब रोज़-ए-जज़ा आएगा

अंजुम आज़मी

एक नज़्म

अनीस नागी

इस शहर के लोग अजीब से हैं अब सब ही तुम्हारे असीर हुए

अनीस अंसारी

बसर होना बहुत दुश्वार सा है

अमीर क़ज़लबाश

रस्ता रोकती ख़ामोशी ने कौन सी बात सुनानी है

अम्बरीन सलाहुद्दीन

बादलों के बीच था मैं बे-सर-ओ-सामाँ न था

अलीमुल्लाह हाली

तालाब इरादे का भरे पल में लबालब

अलीमुल्लाह

मैं जिस का मुंतज़िर हूँ वो मंज़र पुकार ले

अलीम सबा नवेदी

वक़्त

अलीम दुर्रानी

दर्द की इक लहर बल खाती है यूँ दिल के क़रीब

आलमताब तिश्ना

जहाँ 'रेहाना' रहती थी

अख़्तर शीरानी

दुनिया भी पेश आई बहुत बे-रुख़ी के साथ

अख़तर इमाम रिज़वी

दिल वो प्यासा है कि दरिया का तमाशा देखे

अख़तर इमाम रिज़वी

बहार आई ज़माना हुआ ख़राबाती

अख़्तर अंसारी

लहर से लहर का नाता क्या है

अहसन यूसुफ़ ज़ई

तन्हाई ने पर फैलाए रात ने अपनी ज़ुल्फ़ें

अहमद ज़फ़र

मैं यूँ तो नहीं है कि मोहब्बत में नहीं था

अहमद ज़फ़र

क़ानून-ए-क़ुदरत

अहमद नदीम क़ासमी

टूट गया हवा का ज़ोर सैल-ए-बला उतर गया

अहमद मुश्ताक़

इक उम्र की और ज़रूरत है वही शाम-ओ-सहर करने के लिए

अहमद मुश्ताक़

दिलों को रंज ये कैसा है ये ख़ुशी क्या है

अहमद हमदानी

तो बेहतर है यही

अहमद फ़राज़

मुहासरा

अहमद फ़राज़

कशीदा सर से तवक़्क़ो अबस झुकाव की थी

अहमद फ़राज़

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