आगे बढ़ो Poetry (page 12)

है यक दो नफ़स सैर-ए-जहान-ए-गुज़राँ और

हमीद नसीम

ज़बाँ के साथ यहाँ ज़ाइक़ा भी रक्खा है

हमदम कशमीरी

यक़ीन कैसे करूँगा गुमाँ में रहता हूँ

हमदम कशमीरी

वहम कोई गुमाँ में था ही नहीं

हमदम कशमीरी

हुआ है सामने आँखों के ख़ानदाँ आबाद

हमदम कशमीरी

बयाबाँ-ज़ाद कोई क्या कहे ख़ुद बे-मकाँ है

हकीम मंज़ूर

आमदनी और ख़र्च

हाजी लक़ लक़

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है

हैदर अली आतिश

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

हैदर अली आतिश

शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था

हैदर अली आतिश

इंसाफ़ की तराज़ू में तौला अयाँ हुआ

हैदर अली आतिश

दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे कैसे

हैदर अली आतिश

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम

हैदर अली आतिश

आरिफ़ है वो जो हुस्न का जूया जहाँ में है

हैदर अली आतिश

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था

हैदर अली आतिश

जो काबे से निकले जगह दैर में की

हफ़ीज़ जौनपुरी

हुए इश्क़ में इम्तिहाँ कैसे कैसे

हफ़ीज़ जौनपुरी

अजब ज़माने की गर्दिशें हैं ख़ुदा ही बस याद आ रहा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

हयात-ए-जावेदाँ वाले ने मारा

हफ़ीज़ जालंधरी

रौशनी सी कभी कभी दिल में

हफ़ीज़ होशियारपुरी

रह-ए-इरफ़ाँ में अपने होश को माइल समझते हैं

हफ़ीज़ फ़ातिमा बरेलवी

ऐ जहाँ देख ले!

हबीब जालिब

वो यूँ शक्ल-ए-तर्ज़-ए-बयाँ खींचते हैं

हबीब मूसवी

मकान

गुलज़ार

फ़ज़ा

गुलज़ार

ये दिल ही जल्वा-गाह है उस ख़ुश-ख़िराम का

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

बा'द-ए-मकीं मकाँ का गर बाम रहा तो क्या हुआ

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

आँखों का ख़ुदा ही है ये आँसू की है गर मौज

ग़ुलाम यहया हुज़ूर अज़ीमाबादी

हाथ से कुछ न तिरे ऐ मह-ए-कनआँ होगा

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

भूला है बा'द-ए-मर्ग मुझे दोस्त याँ तलक

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

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