मलाल Poetry (page 7)

क्या छुपाते किसी से हाल अपना

फ़ानी बदायुनी

आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया

फ़ना बुलंदशहरी

उम्मीद-ए-सहर की बात सुनो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

किए आरज़ू से पैमाँ जो मआल तक न पहुँचे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

इंक़िलाबी औरत

फ़हमीदा रियाज़

तुम ऐसा करना कि कोई जुगनू कोई सितारा सँभाल रखना

एज़ाज़ अहमद आज़र

सदा-ए-अहद-ए-वफ़ा को ज़वाल क्यूँ आया

एजाज़ अासिफ़

शुऊर-ए-नौ-उम्र हूँ न मुझ को मता-ए-रंज-ओ-मलाल देना

एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी

शुऊर-ए-नौ-उम्र हूँ न मुझ को मता-ए-रंज-ओ-मलाल देना

एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी

तौबा की नाज़िशों पे सितम ढा के पी गया

एहसान दानिश

मर्ग-ए-दुश्मन का ज़ियादा तुम से है मुझ को मलाल

दाग़ देहलवी

जब सर-ए-बाम वो ख़ुर्शीद-जमाल आता है

चरख़ चिन्योटी

वो क्या जवाब दे अर्ज़-ए-सवाल से पहले

चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी

कब एक रंग में दुनिया का हाल ठहरा है

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

सच्चाइयों को बर-सर-ए-पैकार छोड़ कर

भारत भूषण पन्त

इस बज़्म में न होश रहेगा ज़रा मुझे

बेखुद बदायुनी

नए ज़माने में अब ये कमाल होने लगा

बेकल उत्साही

होना ही क्या ज़रूर थे ये दो-जहाँ हैं क्यूँ

बहज़ाद लखनवी

इक बे-वफ़ा को प्यार किया हाए क्या किया

बहज़ाद लखनवी

बुत भी इस में रहते थे दिल यार का भी काशाना था

बेदम शाह वारसी

वो शख़्स जिस को दिल ओ जाँ से बढ़ के चाहा था

बशीर बद्र

न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर

बशीर बद्र

ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं

बशीर बद्र

मिरी ज़िंदगी भी मिरी नहीं ये हज़ार ख़ानों में बट गई

बशीर बद्र

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है

बशीर बद्र

इतना तो जज़्ब-ए-इश्क़ ने बारे असर किया

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

तेरी तरह मलाल मुझे भी नहीं रहा

बाक़ी अहमदपुरी

कहीं सुब्ह-ओ-शाम के दरमियाँ कहीं माह-ओ-साल के दरमियाँ

बद्र-ए-आलम ख़लिश

कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में

अज़्म बहज़ाद

ग़म-ए-हयात ओ ग़म-ए-दोस्त की कशाकश में

अज़ीज़ हामिद मदनी

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