मलाल Poetry (page 8)

ताज़ा हवा बहार की दिल का मलाल ले गई

अज़ीज़ हामिद मदनी

ग़लत-बयाँ ये फ़ज़ा महर ओ कीं दरोग़ दरोग़

अज़ीज़ हामिद मदनी

फ़िराक़ से भी गए हम विसाल से भी गए

अज़ीज़ हामिद मदनी

हमारे चेहरे पे रंज-ओ-मलाल ऐसा था

अज़हर नैयर

मोहब्बत का एक साल

अय्यूब ख़ावर

आइना है ख़याल की हैरत

औरंगज़ेब

रौनक़-ए-बेश-ओ-कम किस के होने से है

अतहर नफ़ीस

दिल की मसर्रतें नई जाँ का मलाल है नया

अतहर नफ़ीस

शोहरत-ए-फ़न बहुत हुई दाद कमाल दे गए

अताउर्रहमान जमील

किसी और को मैं तिरे सिवा नहीं चाहता

अताउल हसन

तू अपने शहर-ए-तरब से न पूछ हाल मिरा

असलम महमूद

न मलाल-ए-हिज्र न मुंतज़िर हैं हवा-ए-शाम-ए-विसाल के

असलम महमूद

बाम-ओ-दर पर उतरने वाली धूप

आसिमा ताहिर

तेरी यादें बहाल रखती है

आसिमा ताहिर

वो बे-हुनर हूँ कि है ज़िंदगी वबाल मुझे

अासिफ़ जमाल

वो शख़्स जिस की ख़ुशी का बाइस थीं मेरी बातें

अशफ़ाक़ नासिर

अजब तरह के कमाल करने भी आ गए हैं

अशफ़ाक़ नासिर

दैर-ओ-हरम भी आए कई इस सफ़र के बीच

अाशा प्रभात

मिरे लोग ख़ेमा-ए-सब्र में मिरे शहर गर्द-ए-मलाल में

असअ'द बदायुनी

हरीफ़ कोई नहीं दूसरा बड़ा मेरा

असअ'द बदायुनी

था क़स्द-ए-क़त्ल-ए-ग़ैर मगर मैं तलब हुआ

अरशद अली ख़ान क़लक़

लूटे मज़े जो हम ने तुम्हारे उगाल के

अरशद अली ख़ान क़लक़

बुत-परस्ती ने किया आशिक़-ए-यज़्दाँ मुझ को

अरशद अली ख़ान क़लक़

मिरे ख़ेमे ख़स्ता-हाल में हैं मिरे रस्ते धुँद के जाल में हैं

अरशद अब्दुल हमीद

पिछली रफ़ाक़तों का न इतना मलाल कर

अरमान नज्मी

तुम्हें प्यार है, तो यक़ीन दो,

आरिफ़ इशतियाक़

और न दर-ब-दर फिरा और न आज़मा मुझे

अनवर शऊर

निगाह-ओ-दिल से गुज़री दास्ताँ तक बात जा पहुँची

अनवर साबरी

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा

अनवर मिर्ज़ापुरी

ख़ुदा भी मेरी तरह बा-कमाल ऐसा था

अनवर महमूद खालिद

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