मलाल Poetry (page 6)

छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिए

हमदम कशमीरी

आईना देखता हूँ नज़र आ रहे हो तुम

हैरत गोंडवी

हंगाम-ए-नज़'अ महव हूँ तेरे ख़याल का

हैदर अली आतिश

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

ख़ुद-ब-ख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-बख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

'हफ़ीज़' वस्ल में कुछ हिज्र का ख़याल न था

हफ़ीज़ जौनपुरी

जबीन पर क्यूँ शिकन है ऐ जान मुँह है ग़ुस्से से लाल कैसा

हबीब मूसवी

भला हो जिस काम में किसी का तो उस में वक़्फ़ा न कीजिएगा

हबीब मूसवी

तिरी तलब ने फ़लक पे सब के सफ़र का अंजाम लिख दिया है

गुलज़ार बुख़ारी

नज़र नज़र में अदा-ए-जमाल रखते थे

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

गुलाबों के नशेमन से मिरे महबूब के सर तक

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

रुका हूँ किस के वहम में मिरे गुमान में नहीं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिरी विरासत में जो भी कुछ है वो सब इसी दहर के लिए है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

ख़ुदा-ए-बर्तर ने आसमाँ को ज़मीन पर मेहरबाँ किया है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

तुम्हारे दर से उठाए गए मलाल नहीं

ग़ालिब अयाज़

जबीन-ए-शौक़ पे गर्द-ए-मलाल चाहती है

ग़ालिब अयाज़

हुआ करेगा हर इक लफ़्ज़ मुश्क-बार अपना

ग़ालिब अयाज़

रस्म-ओ-राह-ए-दहर क्या जोश-ए-मोहब्बत भी तो हो

फ़िराक़ गोरखपुरी

जिसे लोग कहते हैं तीरगी वही शब हिजाब-ए-सहर भी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

ख़िज़ाँ का रंग दरख़्तों पे आ के बैठ गया

फ़ाज़िल जमीली

उदास देख के वजह-ए-मलाल पूछेगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

दिल में इस का ख़याल क्यूँ आया

फ़ातिमा वसीया जायसी

रुका जवाब की ख़ातिर न कुछ सवाल किया

फ़ातिमा हसन

तमाम शहर में उस जैसा ख़स्ता-हाल न था

फ़ारूक़ बख़्शी

मैं तमाम गर्द-ओ-ग़ुबार हूँ मुझे मेरी सूरत-ए-हाल दे

फ़रहत एहसास

ज़िक्र-ए-शब के सईद हो गए क्या

फ़रहत अब्बास

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

फ़रीद जावेद

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

फ़रीद जावेद

हम जिसे समझते थे सई-ए-राएगाँ यारो

फ़रीद जावेद

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