मौत Poetry (page 10)

वो हसरत-ए-बहार न तूफ़ान-ए-ज़िंदगी

सफ़िया शमीम

पैग़ाम ज़िंदगी ने दिया मौत का मुझे

सफ़ी लखनवी

पैग़ाम ज़िंदगी ने दिया मौत का मुझे

सफ़ी लखनवी

दर्द-ए-आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अब अंजाम नहीं

सफ़ी लखनवी

ये सब तो

सईदुद्दीन

नज़्म

सईदुद्दीन

नया फ़्रेम

सईदुद्दीन

मआनी की तलाश में मरते लफ़्ज़

सईद अहमद

ज़िंदगी ग़म के अंधेरों में सँवरने से रही

सादिक़ इंदौरी

वो एक चेहरा जो उस से गुरेज़ कर जाता

सादिक़

आँधी का कर ख़याल न तेवर हवा के देख

साबिर ज़ाहिद

मैं एक हाथ तिरी मौत से मिला आया

साबिर ज़फ़र

मोहब्बत में जीना नई बात है

साइल देहलवी

क्यूँ न हम सोच के साँचे में ही ढल कर देखें

सादुल्लाह शाह

निकालो कोई तो सूरत कि तीरगी कम हो

रोहित सोनी ‘ताबिश’

गरचे मिरे ख़ुलूस से वो बे-ख़बर न था

रोहित सोनी ‘ताबिश’

दवाम के दयार में

रियाज़ लतीफ़

बनारस

रियाज़ लतीफ़

सब ख़लाओं को ख़लाओं से भिगो सकता है

रियाज़ लतीफ़

गुज़र चुके हैं बदन से आगे नजात का ख़्वाब हम हुए हैं

रियाज़ लतीफ़

मुफ़लिसों की ज़िंदगी का ज़िक्र क्या

रियाज़ ख़ैराबादी

किसी का हंस के कहना मौत क्यूँ आने लगी तुम को

रियाज़ ख़ैराबादी

अब मुजरिमान-ए-इश्क़ से बाक़ी हूँ एक मैं

रियाज़ ख़ैराबादी

ज़रूर पाँव में अपने हिना वो मल के चले

रियाज़ ख़ैराबादी

ये कोई बात है सुनता न बाग़बाँ मेरी

रियाज़ ख़ैराबादी

मय रहे मीना रहे गर्दिश में पैमाना रहे

रियाज़ ख़ैराबादी

जवानी मय-ए-अरग़वानी से अच्छी

रियाज़ ख़ैराबादी

जफ़ा में नाम निकालो न आसमाँ की तरह

रियाज़ ख़ैराबादी

गुलों के पर्दे में शक्लें हैं मह-जबीनों की

रियाज़ ख़ैराबादी

ग़रीब हम हैं ग़रीबों की भी ख़ुशी हो जाए

रियाज़ ख़ैराबादी

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