मौत Poetry (page 19)

क्रिकेट और मुशाइरा

दिलावर फ़िगार

मैं सिर्फ़ वो नहीं जो नज़र आ गया तुझे

दिल अय्यूबी

मेरी मंज़िल कहाँ है क्या मा'लूम

द्वारका दास शोला

रात

दाऊद ग़ाज़ी

आवाज़ का नौहा

दानियाल तरीर

मज़े इश्क़ के कुछ वही जानते हैं

दाग़ देहलवी

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा

दाग़ देहलवी

हाथ निकले अपने दोनों काम के

दाग़ देहलवी

डरते हैं चश्म ओ ज़ुल्फ़ ओ निगाह ओ अदा से हम

दाग़ देहलवी

बुतान-ए-माहवश उजड़ी हुई मंज़िल में रहते हैं

दाग़ देहलवी

भला हो पीर-ए-मुग़ाँ का इधर निगाह मिले

दाग़ देहलवी

हमारे सब्र का इक इम्तिहान बाक़ी है

चित्रांश खरे

जो आँसुओं को न चमकाए वो ख़ुशी क्या है

चरख़ चिन्योटी

अक़्ल हैरान है रहमत का तक़ाज़ा क्या है

चरख़ चिन्योटी

रुख़ पे गेसू जो बिखर जाएँगे

बिस्मिल अज़ीमाबादी

क़ाबिल-ए-शरह मिरा हाल-ए-दिल-ए-ज़ार न था

बिस्मिल इलाहाबादी

मिल चुका महफ़िल में अब लुत्फ़-ए-शकेबाई मुझे

बिस्मिल इलाहाबादी

जीने वाला ये समझता नहीं सौदाई है

बिस्मिल इलाहाबादी

ज़ब्त-ए-नाला दिल-ए-फ़िगार न कर

बिर्ज लाल रअना

ख़याल को ज़ौ नज़र को ताबिश नफ़स को रख़शंदगी मिलेगी

बिर्ज लाल रअना

बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

ये कह दो बस मौत से हो रुख़्सत क्यूँ नाहक़ आई है उस की शामत

भारतेंदु हरिश्चंद्र

फ़साद-ए-दुनिया मिटा चुके हैं हुसूल-ए-हस्ती मिटा चुके हैं

भारतेंदु हरिश्चंद्र

दिल आतिश-ए-हिज्राँ से जलाना नहीं अच्छा

भारतेंदु हरिश्चंद्र

बाल बिखेरे आज परी तुर्बत पर मेरे आएगी

भारतेंदु हरिश्चंद्र

मिरी ही बात सुनती है मुझी से बात करती है

भारत भूषण पन्त

आब की तासीर में हूँ प्यास की शिद्दत में हूँ

भारत भूषण पन्त

लड़ाएँ आँख वो तिरछी नज़र का वार रहने दें

बेख़ुद देहलवी

झूट सच आप तो इल्ज़ाम दिए जाते हैं

बेख़ुद देहलवी

दोनों ही की जानिब से हो गर अहद-ए-वफ़ा हो

बेख़ुद देहलवी

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