महफ़िल Poetry (page 29)

क्यूँ किसी रह-रौ से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता

आरज़ू लखनवी

ऐ जज़्ब-ए-मोहब्बत तू ही बता क्यूँकर न असर ले दिल ही तो है

आरज़ू लखनवी

हम तो आवारा-ए-सहरा हैं हमें क्या मतलब

अर्शी भोपाली

रक़्स-ए-आशुफ़्ता-सरी की कोई तदबीर सही

अर्शी भोपाली

ज़िम्मेदारी

अरशद कमाल

यगाना उन का बेगाना है बेगाना यगाना है

अरशद अली ख़ान क़लक़

नहीं चमके ये हँसने में तुम्हारे दाँत अंजुम से

अरशद अली ख़ान क़लक़

न कल तक थे वो मुँह लगाने के क़ाबिल

अरशद अली ख़ान क़लक़

हैं तेग़-ए-नाज़-ए-यार के बिस्मिल अलग अलग

अरशद अली ख़ान क़लक़

बशर के फ़ैज़-ए-सोहबत से लियाक़त आ ही जाती है

अरशद अली ख़ान क़लक़

दरवाज़ा तिरे शहर का वा चाहिए मुझ को

अर्श सिद्दीक़ी

ख़ाना-ए-दिल में दाग़ जल न सका

अर्श मलसियानी

जब सितारों की रिदा काँधे से सरकाती है रात

अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ

ढूँढता हूँ सर-ए-सहरा-ए-तमन्ना ख़ुद को

आरिफ़ अब्दुल मतीन

सारे कुश्तों से जुदा ढंग इज़्तिराब-ए-दिल का है

अनवरी जहाँ बेगम हिजाब

अगरचे आइना-ए-दिल में है क़याम उस का

अनवर शऊर

जल्वे दिखाए यार ने अपनी हरीम-ए-नाज़ में

अनवर सहारनपुरी

वक़्त जब करवटें बदलता है

अनवर साबरी

उन की महफ़िल में हमेशा से यही देखा रिवाज

अनवर साबरी

शब-ए-फ़िराक़ की ज़ुल्मत है ना-गवार मुझे

अनवर साबरी

शेर-ओ-सुख़न की उस महफ़िल में सब से छोटे हम ही थे

अनवर नदीम

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा

अनवर मिर्ज़ापुरी

दुनिया भी अजब क़ाफ़िला-ए-तिश्ना-लबाँ है

अनवर मसूद

हश्र को मानता हूँ बे-देखे

अनवर देहलवी

ये सरकारी शिफ़ा-ख़ाने में जो बीमार लेटे हैं

अनवर बरेलवी

आओ देखें अहल-ए-वफ़ा की होती है तौक़ीर कहाँ

अनवर मोअज़्ज़म

ग़म सहें या ख़ुशी को प्यार करें

अंजुम सिद्दीक़ी

वो जिस के नाम में लज़्ज़त बहुत है

अंजुम बाराबंकवी

झूटी बातें झूटे लोग

अंजुम बाराबंकवी

नक़ाब उल्टा है शम्ओं' ने सितारो तुम तो सो जाओ

अनीस कैफ़ी

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