संभव Poetry (page 14)

कहाँ मुमकिन है पोशीदा ग़म-ए-दिल का असर होना

अनवरी जहाँ बेगम हिजाब

इस तअल्लुक़ में नहीं मुमकिन तलाक़

अनवर शऊर

फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं बुरा होने से पहले था

अनवर शऊर

एक मंसूबे में दर-पेश दुश्वारियाँ

अनवर सेन रॉय

कहीं और ही चलना होगा

अनवर नदीम

मख़मली ख़्वाब का आँखों में न मंज़र फैला

अनवर मीनाई

कब लज़्ज़तों ने ज़ेहन का पीछा नहीं किया

अनवर अंजुम

तख़य्युल को बरी करने लगा हूँ

अम्मार इक़बाल

मोहब्बत की एक नज़्म

अमजद इस्लाम अमजद

ये जो हासिल हमें हर शय की फ़रावानी है

अमजद इस्लाम अमजद

शाम ढले जब बस्ती वाले लौट के घर को आते हैं

अमजद इस्लाम अमजद

तेरी तस्वीरों को देख पिघलती हैं

अमित शर्मा मीत

है ख़मोशी ज़ुल्म-ए-चर्ख़-ए-देव-पैकर का जवाब

अमीर मीनाई

प्यासों का रिश्ता

अमीक़ हनफ़ी

इक गली से ख़ुश्बू की रस्म-ओ-राह काफ़ी है

अंबरीन हसीब अंबर

तुझे किताब से मुमकिन नहीं फ़राग़ कि तू

अल्लामा इक़बाल

शिकवा

अल्लामा इक़बाल

मिर्ज़ा 'ग़ालिब'

अल्लामा इक़बाल

जिब्रईल ओ इबलीस

अल्लामा इक़बाल

गोरिस्तान-ए-शाही

अल्लामा इक़बाल

ताज़ा फिर दानिश-ए-हाज़िर ने किया सेहर-ए-क़ादिम

अल्लामा इक़बाल

ला-मकाँ लग आशिक़ाँ के इश्क़ का पर्वाज़ है

अलीमुल्लाह

एक ख़्वाब और

अली सरदार जाफ़री

सितारों के पयाम आए बहारों के सलाम आए

अली सरदार जाफ़री

उर्दू

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

अकरम नक़्क़ाश

मुझे ले चल

अख़्तर शीरानी

कहाँ से लाएँगे आँसू अज़ा-दारी के मौसम में

अख़तर शाहजहाँपुरी

दिल-ओ-निगाह पे तारी रहे फ़ुसूँ उस का

अख़्तर रज़ा सलीमी

दिल ओ निगाह पे तारी रहे फ़ुसूँ उस का

अख़्तर रज़ा सलीमी

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