नूर Poetry (page 13)

हरा-भरा था चमन में शजर अकेला था

इंतिख़ाब अालम

है नूर-ए-बसर मर्दुमक-ए-दीदा में पिन्हाँ यूँ जैसे कन्हैया

इंशा अल्लाह ख़ान

ज़मीं से उट्ठी है या चर्ख़ पर से उतरी है

इंशा अल्लाह ख़ान

तोडूँगा ख़ुम-ए-बादा-ए-अंगूर की गर्दन

इंशा अल्लाह ख़ान

फबती तिरे मुखड़े पे मुझे हूर की सूझी

इंशा अल्लाह ख़ान

हज़रत-ए-इश्क़ इधर कीजे करम या माबूद

इंशा अल्लाह ख़ान

सीप मुट्ठी में है आफ़ाक़ भी हो सकता है

इंजील सहीफ़ा

वो अजीब शख़्स था भीड़ में जो नज़र में ऐसे उतर गया

इन्दिरा वर्मा

अपने हिस्से में ही आने थे ख़सारे सारे

इमरान-उल-हक़ चौहान

सुब्ह-दम रोती जो तेरी बज़्म से जाती है शम्अ

इम्दाद इमाम असर

दिल संग नहीं है कि सितमगर न भर आता

इम्दाद इमाम असर

ये क्या कहा मुझे ओ बद-ज़बाँ बहुत अच्छा

इमदाद अली बहर

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

जड़ाव चूड़ियों के हाथों में फबन क्या ख़ूब

इमदाद अली बहर

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब

इमदाद अली बहर

ऐसे पुर-नूर-ओ-ज़िया यार के रुख़्सारे हैं

इमदाद अली बहर

तू ने महजूर कर दिया हम को

इमाम बख़्श नासिख़

मिरा सीना है मशरिक़ आफ़्ताब-ए-दाग़-ए-हिज्राँ का

इमाम बख़्श नासिख़

है दिल-ए-सोज़ाँ में तूर उस की तजल्ली-गाह का

इमाम बख़्श नासिख़

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

इलियास बाबर आवान

ग़ैर-निसाबी तारीख़

इलियास बाबर आवान

है जुस्तुजू अगर इस को इधर भी आएगा

इफ़्तिख़ार नसीम

रात भर दर्द की बरसात में धोई हुई सुब्ह

इफ़्तिख़ार बुख़ारी

दयार-ए-नूर में तीरा-शबों का साथी हो

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रौशन दिल वालों के नाम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मुकालिमा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बदन-दरीदा रूहों के नाम एक नज़्म

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये नक़्श हम जो सर-ए-लौह-ए-जाँ बनाते हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ख़ौफ़ के सैल-ए-मुसलसल से निकाले मुझे कोई

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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