नूर Poetry (page 16)

मुशीर

हबीब जालिब

दस्तूर

हबीब जालिब

ये और बात तेरी गली में न आएँ हम

हबीब जालिब

शहर वीराँ उदास हैं गलियाँ

हबीब जालिब

फिर दिल से आ रही है सदा उस गली में चल

हबीब जालिब

महताब-सिफ़त लोग यहाँ ख़ाक-बसर हैं

हबीब जालिब

कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

हम ने सुना था सहन-ए-चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं

हबीब जालिब

है आठ पहर तू जल्वा-नुमा तिमसाल-ए-नज़र है परतव-ए-रुख़

हबीब मूसवी

फ़रियाद भी मैं कर न सका बे-ख़बरी से

हबीब मूसवी

साग़र में शक्ल-ए-दुख़्तर-ए-रज़ कुछ बदल गई

गुस्ताख़ रामपुरी

वो जो शाएर था

गुलज़ार

ग़ालिब

गुलज़ार

ग़ालिब

गुलज़ार

चम्पई धूप

गुलज़ार

तूफ़ान समुंदर के न दरिया के भँवर देख

गुहर खैराबादी

फिर मुझे जीने की दुआ दी है

गोर बचन सिंह दयाल मग़मूम

तुलू-ए-शब

गोपाल मित्तल

सुब्ह-ए-काज़िब

गोपाल मित्तल

शब-ताब

गोपाल मित्तल

आँखों में नए रंग सजाने नहीं उतरे

गिरिजा व्यास

क़दमों से मेरे गर्द-ए-सफ़र कौन ले गया

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

''अटलांटिक सिटी''

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

दूरी में क्यूँ कि हो न तमन्ना हुज़ूर की

ग़ुलाम मौला क़लक़

दिल के हर जुज़्व में जुदाई है

ग़ुलाम मौला क़लक़

दीदा-ए-सर्फ़-ए-इंतिज़ार है शम्अ

ग़ुलाम मौला क़लक़

क़र्या-ए-हैरत में दिल का मुस्तक़र इक ख़्वाब है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिरी सुब्ह-ए-ख़्वाब के शहर पर यही इक जवाज़ है जब्र का

ग़ुलाम हुसैन साजिद

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