नूर Poetry (page 17)

मैं अपने सूरज के साथ ज़िंदा रहूँगा तो ये ख़बर मिलेगी

ग़ुलाम हुसैन साजिद

इक शम्अ' की सूरत में मंज़ूर किया जाऊँ

ग़ुलाम हुसैन साजिद

आइना-आसा ये ख़्वाब-ए-नीलमीं रक्खूँगा मैं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

तारीकी में नूर का मंज़र सूरज में शब देखोगे

ग़ज़नफ़र

आँख की पुतली में सूरज सर में कुछ सौदा उगा

ग़यास मतीन

बस तेरे लिए उदास आँखें

ग़ालिब अयाज़

तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है

ग़ालिब

मंज़ूर थी ये शक्ल तजल्ली को नूर की

ग़ालिब

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए

ग़ालिब

आबरू क्या ख़ाक उस गुल की कि गुलशन में नहीं

ग़ालिब

उस माह-रू पे आँख किसी की न पड़ सकी

जोर्ज पेश शोर

पैक-ए-ख़याल भी है अजब क्या जहाँ-नुमा

जोर्ज पेश शोर

साँप! आ काट मुझे

गौहर नौशाही

दिल मुतमइन है हर्फ़-ए-वफ़ा के बग़ैर भी

फ़ुज़ैल जाफ़री

ज़ुल्मत ओ नूर में कुछ भी न मोहब्बत को मिला

फ़िराक़ गोरखपुरी

रोने वाले हुए चुप हिज्र की दुनिया बदली

फ़िराक़ गोरखपुरी

कुछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा

फ़िराक़ गोरखपुरी

परछाइयाँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

जुदाई

फ़िराक़ गोरखपुरी

आधी रात

फ़िराक़ गोरखपुरी

शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो

फ़िराक़ गोरखपुरी

रात भी नींद भी कहानी भी

फ़िराक़ गोरखपुरी

लुत्फ़-सामाँ इताब-ए-यार भी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

ग़म तिरा जल्वा-गह-ए-कौन-ओ-मकाँ है कि जो था

फ़िराक़ गोरखपुरी

दौर-ए-आग़ाज़-ए-जफ़ा दिल का सहारा निकला

फ़िराक़ गोरखपुरी

आज भी क़ाफ़िला-ए-इश्क़ रवाँ है कि जो था

फ़िराक़ गोरखपुरी

तामीर-ए-नौ क़ज़ा-ओ-क़दर की नज़र में है

फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली

दास्तानों में मिले थे दास्ताँ रह जाएँगे

फ़ाज़िल जमीली

ज़मज़मा-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ दूर तक

फ़ाज़िल अंसारी

बटन

फ़े सीन एजाज़

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