ज़ुल्मत ओ नूर में कुछ भी न मोहब्बत को मिला
ज़ुल्मत ओ नूर में कुछ भी न मोहब्बत को मिला
आज तक एक धुँदलके का समाँ है कि जो था
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आज तक एक धुँदलके का समाँ है कि जो था
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