उस माह-रू पे आँख किसी की न पड़ सकी
जल्वा था तूर का कि सरासर वो नूर था
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(607) Peoples Rate This
हवा के घोड़े पे रहता है वो सवार मुदाम
इसी ख़याल में दिन-रात मैं तड़पता हूँ
रुके है आमद-ओ-शुद में नफ़स नहीं चलता
ज़र्रे की तरह ख़ाक में पामाल हो गए
देते न दिल जो तुम को तो क्यूँ बनती जान पर
दिल में अपने आरज़ू सब कुछ है और फिर कुछ नहीं
दूर हम से हैं वो तो क्या डर है
है तलाश-ए-दो-जहाँ लेकिन ख़बर अपनी किसे
ये फ़र्क़ जीते ही जी तक गदा-ओ-शाह में है
गिरजा में गए तो पारसाई देखी
पैक-ए-ख़याल भी है अजब क्या जहाँ-नुमा