रुके है आमद-ओ-शुद में नफ़स नहीं चलता
यही है हुक्म-ए-इलाही तो बस नहीं चलता
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
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Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
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Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
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हवा के घोड़े पे रहता है वो सवार मुदाम
पैक-ए-ख़याल भी है अजब क्या जहाँ-नुमा
गुज़िश्ता साल जो देखा वो अब की साल नहीं
जब जवानी गई छुड़ा कर हाथ
तुम्हारे इश्क़ में क्या क्या न इख़्तियार किया
जान पर अपनी हाए क्यूँ बनती
कुछ तेरा समर न ऐ जवानी पाया
देते न दिल जो तुम को तो क्यूँ बनती जान पर
क्या वस्फ़ लिखूँ ज़ुल्फ़-ए-सियह की लट का
जहाँ में ज़र का है कारख़ाना न कोई अपना न है यगाना
दौलत ने मुआ'विनत जो की तो क्या की