तूफ़ान समुंदर के न दरिया के भँवर देख

तूफ़ान समुंदर के न दरिया के भँवर देख

साहिल की तमन्ना है तो मौजों का सफ़र देख

ख़ुशियों का ख़ज़ीना तह-ए-दामान-ए-अलम है

गुज़रे शब-ए-तारीक तो फिर नूर-ए-सहर देख

उड़ जाना फ़लक तक कोई मुश्किल नहीं लेकिन

सूरज के तमाज़त से झुलस जाएँ न पर देख

मेराज है मेराज तिरे ज़ौक़-ए-नज़र की

हर मंज़र-ए-दिल-कश यही कहता है उधर देख

चश्मे हैं न दरिया न समुंदर है न झीलें

है प्यास कि आलम हैं सराबों का सफ़र देख

टकराएँ तो सहराओं में भी आग लगा दें

पोशीदा रग-ए-संग में हैं कितने शरर देख

तू ने तो मिरी सम्त से मुँह मोड़ लिया है

अब होती है किस तरह मिरी उम्र बसर देख

तू अपनी हिफ़ाज़त की दुआ माँग चुका है

अब बैठ के ख़ल्वत में दुआओं का असर देख

इस कार-गह-ए-दहर में ऐ रहमत-ए-आलम

इक मैं ही नहीं सब हैं तिरे दस्त-ए-निगर देख

क्या तह में समुंदर की 'गुहर' ढूँड रहा है

मेरी सदफ़-ए-चश्म में अश्कों के 'गुहर' देख

(887) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tufan Samundar Ke Na Dariya Ke Bhanwar Dekh In Hindi By Famous Poet Guhar Khairabadi. Tufan Samundar Ke Na Dariya Ke Bhanwar Dekh is written by Guhar Khairabadi. Complete Poem Tufan Samundar Ke Na Dariya Ke Bhanwar Dekh in Hindi by Guhar Khairabadi. Download free Tufan Samundar Ke Na Dariya Ke Bhanwar Dekh Poem for Youth in PDF. Tufan Samundar Ke Na Dariya Ke Bhanwar Dekh is a Poem on Inspiration for young students. Share Tufan Samundar Ke Na Dariya Ke Bhanwar Dekh with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.