चित्रा Poetry (page 15)

लोग कहते हैं कि साया तिरे पैकर का नहीं

अहमद नदीम क़ासमी

शाम को सुब्ह-ए-चमन याद आई

अहमद नदीम क़ासमी

फूलों से लहू कैसे टपकता हुआ देखूँ

अहमद नदीम क़ासमी

सर-ब-सर पैकर-ए-इज़हार में लाता है मुझे

अहमद महफ़ूज़

तख़्लीक़

अहमद फ़राज़

सरहदें

अहमद फ़राज़

ख़ुद को तिरे मेआर से घट कर नहीं देखा

अहमद फ़राज़

जो भी दरून-ए-दिल है वो बाहर न आएगा

अहमद फ़राज़

गुफ़्तुगू अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा

अहमद फ़राज़

लाख लाख एहसान जिस ने दर्द पैदा कर दिया

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

परी-पैकर जो मुझ वहशी का पैराहन बनाते हैं

आग़ा हज्जू शरफ़

दिल को अफ़सोस-ए-जवानी है जवानी अब कहाँ

आग़ा हज्जू शरफ़

फ़ुसूँ टूटता है

अफ़ज़ल परवेज़

कर्ब के शहर से निकले तो ये मंज़र देखा

अफ़ज़ल मिनहास

एक पैकर यूँ चमक उट्ठा है मेरे ध्यान में

अफ़ज़ल मिनहास

किसी की याद रुलाये तो क्या किया जाए

अफ़ज़ल इलाहाबादी

रंग आ जाते मुट्ठी में जुगनू बन कर

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

दीवारों में दर होता तो अच्छा था

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

जू-ए-रवाँ हूँ ठहरा समुंदर नहीं हूँ मैं

आफ़ताब शम्सी

तेरी ख़ुशबू का तराशा है ये पैकर किस ने

अफ़सर आज़री

फूल का या संग का इज़हार कर

अबुल हसनात हक़्क़ी

सब इक न इक सराब के चक्कर में रह गए

अबु मोहम्मद सहर

ज़मीं पे आग फ़लक पर धुआँ दिखाई दिया

अबरार आज़मी

आलम-ए-ख़्वाब सही ख़्वाब में चलते रहिए

आबिद करहानी

कुछ हक़ाएक़ के ज़िंदा पैकर हैं

अब्दुस्समद ’तपिश’

जिस्म के मर्तबान में क्या है

अब्दुस्समद ’तपिश’

फटे पुराने बदन से किसे ख़रीद सकूँ

अब्दुर्रहीम नश्तर

वो सो रहा है ख़ुदा दूर आसमानों में

अब्दुर्रहीम नश्तर

तुझ क़द की अदा सर्व-ए-गुलिस्ताँ सीं कहूँगा

अब्दुल वहाब यकरू

इंतिशार-ओ-ख़ौफ़ हर इक सर में है

अब्दुल मतीन नियाज़

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