रास्ता Poetry (page 40)

वक़्त गर्दिश में ब-अंदाज़-ए-दिगर है कि जो था

हुरमतुल इकराम

तय किया इस तरह सफ़र तन्हा

हुरमतुल इकराम

जैसे जैसे दर्द का पिंदार बढ़ता जाए है

हुरमतुल इकराम

फ़रोग़-ए-दीदा-वरी का ज़माना आया है

हुरमतुल इकराम

वो तक़ाज़ा-ए-जुनूँ अब के बहारों में न था

होश तिर्मिज़ी

तज़ईन-ए-बज़्म-ए-ग़म के लिए कोई शय तो हो

होश तिर्मिज़ी

देखे हैं जो ग़म दिल से भुलाए नहीं जाते

होश तिर्मिज़ी

जवाब

हिमायत अली शाएर

हारून की आवाज़

हिमायत अली शाएर

पिंदार-ए-ज़ोहद हो कि ग़ुरूर-ए-बरहमनी

हिमायत अली शाएर

जो कुछ भी गुज़रता है मिरे दिल पे गुज़र जाए

हिमायत अली शाएर

जब तक ज़मीं पे रेंगते साए रहेंगे हम

हिमायत अली शाएर

थी अजब ही दास्ताँ जब तमाम हो गई

हिलाल फ़रीद

फिर अँधेरी राह में कोई दिया मिल जाएगा

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

बहुत कठिन है डगर थोड़ी दूर साथ चलो

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

हम तो मंज़िल के तलबगार थे लेकिन मंज़िल

हीरा लाल फ़लक देहलवी

क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स

हीरा लाल फ़लक देहलवी

कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई

हीरा लाल फ़लक देहलवी

इस का नहीं है ग़म कोई जाँ से अगर गुज़र गए

हज़ीं लुधियानवी

पर-ए-जिब्रील भी जिस राह में जल जाते हैं

हयात मदरासी

ज़ुल्फ़ अंधेर करने वाली है

हातिम अली मेहर

क़त्अ हो कर काकुल-ए-शब-गीर आधी रह गई

हातिम अली मेहर

न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए

हातिम अली मेहर

ब-ख़ुदा हैं तिरी हिन्दू बुत-ए-मय-ख़्वार आँखें

हातिम अली मेहर

आलम-ए-हैरत का देखो ये तमाशा एक और

हातिम अली मेहर

ये तजरबा हुआ है मोहब्बत की राह में

हस्तीमल हस्ती

ढूँडा है हर जगह प कहीं पर नहीं मिला

हस्तीमल हस्ती

राह में मिलिए कभी मुझ से तो अज़-राह-ए-सितम

हसरत मोहानी

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए

हसरत मोहानी

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