रास्ता Poetry (page 39)

तर्क-ए-तअल्लुक़ात नहीं चाहता था मैं

इफ़्तिख़ार राग़िब

दिल से जब आह निकल जाएगी

इफ़्तिख़ार राग़िब

धुँद

इफ़्तेख़ार जालिब

अंदलीबों से कभी गुल से कभी लेता हूँ

इफ़्तिख़ार हुसैन रिज़वी सईद

हुआ है यूँ भी कि इक उम्र अपने घर न गए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शहर-आशोब

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बद-शुगूनी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये क़र्ज़-ए-कज-कुलही कब तलक अदा होगा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कहीं से कोई हर्फ़-ए-मो'तबर शायद न आए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हासिल

इफ़्तिख़ार आज़मी

मंज़िलें आईं तो रस्ते खो गए

इफ़्फ़त ज़र्रीं

बला नई कोई पालूँ अगर इजाज़त हो

इफ़्फ़त अब्बास

ख़ेमगी-ए-शब है तिश्नगी दिन है

इदरीस बाबर

हवादिसात ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए

इबरत मछलीशहरी

तुम सा गर राहबर नहीं होता

इबरत बहराईची

गुलशन में ले के चल किसी सहरा में ले के चल

इब्राहीम अश्क

दुनिया लुटी तो दूर से तकता ही रह गया

इब्राहीम अश्क

अजब है खेल कैरम का

इब्न-ए-मुफ़्ती

अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले

इब्न-ए-इंशा

ये सराए है

इब्न-ए-इंशा

इस बस्ती के इक कूचे में

इब्न-ए-इंशा

दिल-आशोब

इब्न-ए-इंशा

चाँद के तमन्नाई

इब्न-ए-इंशा

ऐ मिरे सोच-नगर की रानी

इब्न-ए-इंशा

लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़ कर पल में माह-ए-तमाम हुए

इब्न-ए-इंशा

जंगल जंगल शौक़ से घूमो दश्त की सैर मुदाम करो

इब्न-ए-इंशा

इस शहर के लोगों पे ख़त्म सही ख़ु-तलअ'ती-ओ-गुल-पैरहनी

इब्न-ए-इंशा

अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले

इब्न-ए-इंशा

फिर तिरा शहर तिरी राहगुज़र हो कि न हो

हुसैन ताज रिज़वी

ज़ौक़-ए-तकल्लुम पर उर्दू ने राह अनोखी खोली है

हुरमतुल इकराम

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