फिर तिरा शहर तिरी राहगुज़र हो कि न हो

फिर तिरा शहर तिरी राहगुज़र हो कि न हो

और हो भी तो मुझे शौक़-ए-सफ़र हो कि न हो

हो न हो फिर से रग-ओ-पय में शरारों का गुमाँ

फिर कभी दोश पे मेरे तिरा सर हो कि न हो

माँग लूँ तेरे हवाले से तो शायद मिल जाए

क्या ख़बर सिर्फ़ दुआओं में असर हो कि न हो

ना-उमीदी के ये शब-ज़ाद डराते हैं मुझे

तेरे आने से मुनव्वर मिरा घर हो कि न हो

मुझ से भूला न गया उन के लबों का वो खिंचाव

याद उन को भी मिरा दीदा-ए-तर हो कि न हो

अब भी आ जाओ कोई देर खुली हैं आँखें

क्या ख़बर फिर कभी दीवार में दर हो कि न हो

माँ के आँचल के तले बैठ लो कुछ देर ऐ 'ताज'

क्या ख़बर आगे ये साया ये शजर हो कि न हो

(757) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Phir Tera Shahr Teri Rahguzar Ho Ki Na Ho In Hindi By Famous Poet Husain Taj Rizvi. Phir Tera Shahr Teri Rahguzar Ho Ki Na Ho is written by Husain Taj Rizvi. Complete Poem Phir Tera Shahr Teri Rahguzar Ho Ki Na Ho in Hindi by Husain Taj Rizvi. Download free Phir Tera Shahr Teri Rahguzar Ho Ki Na Ho Poem for Youth in PDF. Phir Tera Shahr Teri Rahguzar Ho Ki Na Ho is a Poem on Inspiration for young students. Share Phir Tera Shahr Teri Rahguzar Ho Ki Na Ho with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.