रोग Poetry (page 2)

मैं फ़र्त-ए-मसर्रत से डर है कि न मर जाऊँ

सरदार सोज़

रौशन सुकूत सब उसी शो'ला-बयाँ से है

सलीम शाहिद

फेरी वाला

सज्जाद बाक़र रिज़वी

चाहत जी का रोग है प्यारे जी को रोक लगाओ क्यूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

तेरी आँखों में रंग-ए-मस्ती है

सैफ़ुद्दीन सैफ़

यकसूई

साहिर लुधियानवी

ख़ूबसूरत मोड़

साहिर लुधियानवी

26/जानवरी

साहिर लुधियानवी

सोने के दिल मिट्टी के घर पीछे छोड़ आए हैं

सईद क़ैस

नज़र से दूर हैं दिल से जुदा न हम हैं न तुम

साबिर ज़फ़र

जलन दिल की लिक्खें जो हम दिल-जले

रिन्द लखनवी

यूँ खुले बंदों मोहब्बत का न चर्चा करना

रज़्ज़ाक़ अफ़सर

यूँ भी इक बज़्म-ए-सदा हम ने सजाई पहरों

रशीद क़ैसरानी

वस्ल में ज़िक्र ग़ैर का न करो

इमदाद अली बहर

फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

इमदाद अली बहर

इस तरह सोई हैं आँखें जागते सपनों के साथ

इफ़्तिख़ार नसीम

इक ख़ला, एक ला-इंतिहा और मैं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

ये बातें झूटी बातें हैं

इब्न-ए-इंशा

फ़र्ज़ करो

इब्न-ए-इंशा

दिल-आशोब

इब्न-ए-इंशा

ऐ मिरे सोच-नगर की रानी

इब्न-ए-इंशा

जब दहर के ग़म से अमाँ न मिली हम लोगों ने इश्क़ ईजाद किया

इब्न-ए-इंशा

हमें तुम पे गुमान-ए-वहशत था हम लोगों को रुस्वा किया तुम ने

इब्न-ए-इंशा

करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम

हातिम अली मेहर

अंदर की दुनियाएँ मिला के एक नगर हो जाएँ

हैदर क़ुरैशी

नर्गिस पे तो इल्ज़ाम लगा बे-बसरी का

हफ़ीज़ होशियारपुरी

मुशीर

हबीब जालिब

दिल पर जो ज़ख़्म हैं वो दिखाएँ किसी को क्या

हबीब जालिब

दरख़्त सूख गए रुक गए नदी नाले

हबीब जालिब

पाल ले इक रोग नादाँ ज़िंदगी के वास्ते

फ़िराक़ गोरखपुरी

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