प्रकाश Poetry (page 34)

हमारे जिस्म अगर रौशनी में ढल जाएँ

अख़्तर रज़ा सलीमी

अंदेशे मुझे निगल रहे हैं

अख़्तर रज़ा सलीमी

लम्स-ए-आख़िरी

अख़्तर पयामी

वो ख़ुद तो मर ही गया था मुझे भी मार गया

अख़तर इमाम रिज़वी

जो संग हो के मुलाएम है सादगी की तरह

अख़तर इमाम रिज़वी

दुनिया भी पेश आई बहुत बे-रुख़ी के साथ

अख़तर इमाम रिज़वी

तूफ़ान-ए-अब्र-ओ-बाद से हर-सू नमी भी है

अख़्तर होशियारपुरी

मेरे लहू में उस ने नया रंग भर दिया

अख़्तर होशियारपुरी

मैं उस का नाम घुले पानियों पे लिखता क्या

अख़्तर होशियारपुरी

मैं हर्फ़ देखूँ कि रौशनी का निसाब देखूँ

अख़्तर होशियारपुरी

दूर तक रौशनी है ग़ौर से देख

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

नदी का क्या है जिधर चाहे उस डगर जाए

अखिलेश तिवारी

चराग़-ए-राहगुज़र लाख ताबनाक सही

अकबर हैदराबादी

ख़ालिक़ और तख़्लीक़

अकबर हैदराबादी

अजल सराए तीरगी

अकबर हैदराबादी

घुटन अज़ाब-ए-बदन की न मेरी जान में ला

अकबर हैदराबादी

बदन से रिश्ता-ए-जाँ मो'तबर न था मेरा

अकबर हैदराबादी

आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है

अकबर हैदराबादी

शरार-ए-संग जो इस शोर-ओ-शर से निकलेगा

अकबर हमीदी

दरबार1911

अकबर इलाहाबादी

तरीक़-ए-इश्क़ में मुझ को कोई कामिल नहीं मिलता

अकबर इलाहाबादी

अपनी गिरह से कुछ न मुझे आप दीजिए

अकबर इलाहाबादी

फ़िरऔन-ए-वक़्त कोई भी हो सर-कशी करो

अजमल अजमली

इस चमन का अजीब माली है

अजीत सिंह हसरत

सहरा-ए-ला-हुदूद में तिश्ना-लबी की ख़ैर

अजय सहाब

न गुमान मौत का है न ख़याल ज़िंदगी का

ऐतबार साजिद

कहा तख़्लीक़-ए-फ़न बोले बहुत दुश्वार तो होगी

ऐतबार साजिद

तुम्हारे बिन अब के जान-ए-जाँ मैं ने ईद करने की ठान ली है

ऐनुद्दीन आज़िम

अब जुनूँ के रत-जगे ख़िरद में आ गए

ऐनुद्दीन आज़िम

इक शहर था इक बाग़ था

ऐन ताबिश

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