समुद्र Poetry (page 15)

रात काफ़ी लम्बी थी दूर तक था तन्हा मैं

फ़ारूक़ शफ़क़

कोई मंज़र भी सुहाना नहीं रहने देते

फ़ारिग़ बुख़ारी

ख़िरद भी ना-मेहरबाँ रहेगी शुऊ'र भी सर-गराँ रहेगा

फ़ारिग़ बुख़ारी

तन्हाई के आब-ए-रवाँ के साहिल पर बैठा हूँ मैं

फ़रहत एहसास

मिला है जिस्म कि उस का गुमाँ मिला है मुझे

फ़रहत एहसास

मौत ही एक दवा है और वो जारी है

फ़रहत एहसास

मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं

फ़रहत एहसास

कुछ भी न कहना कुछ भी न सुनना लफ़्ज़ में लफ़्ज़ उतरने देना

फ़रहत एहसास

ख़लल आया न हक़ीक़त में न अफ़्साना बना

फ़रहत एहसास

जिस्म की कुछ और अभी मिट्टी निकाल

फ़रहत एहसास

हर इक जानिब उन आँखों का इशारा जा रहा है

फ़रहत एहसास

बुझ गए सारे चराग़-ए-जिस्म-ओ-जाँ तब दिल जला

फ़रहत एहसास

बदन और रूह में झगड़ा पड़ा है

फ़रहत एहसास

ज़ौक़-ए-परवाज़ में साबित हुआ सय्यारों से

फ़रीद इशरती

मौजों की सियासत से मायूस न हो 'फ़ानी'

फ़ानी बदायुनी

बिजलियाँ टूट पड़ीं जब वो मुक़ाबिल से उठा

फ़ानी बदायुनी

मेरे चेहरे से ग़म आश्कारा नहीं

फ़ना निज़ामी कानपुरी

झूटी ही तसल्ली हो कुछ दिल तो बहल जाए

फ़ना निज़ामी कानपुरी

बहुत सा काम तो पहले ही कर लिया मैं ने

फ़ैज़ान हाशमी

ऐ दिल अच्छा नहीं मसरूफ़-ए-फ़ुग़ाँ हो जाना

फ़ैज़ुल हसन

ये मातम-ए-वक़्त की घड़ी है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सुब्ह-ए-आज़ादी (अगस्त-47)

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

नज़्म

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ग़ुबार-ए-ख़ातिर-ए-महफ़िल ठहर जाए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

भगत-सिंह के नाम

फ़हीम शनास काज़मी

जाम खनके तो सँभाला न गया दिल तुम से

एज़ाज़ अफ़ज़ल

हर एक गाम पे आसूदगी खड़ी होगी

एज़ाज़ अफ़ज़ल

आँगन आँगन ख़ाना-ख़राबी हँसती है मे'मारों पर

एज़ाज़ अफ़ज़ल

ख़ून-ए-नाहक़ थी फ़क़त दुनिया-ए-आब-ओ-गिल की बात

एजाज़ वारसी

हँसी लबों पे सजाए उदास रहता है

एजाज़ रहमानी

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