सबा Poetry (page 9)

हर शख़्स को ऐसे देखता हूँ

सादिक़ नसीम

'बेदिल' का तख़य्युल हूँ न ग़ालिब की नवा हूँ

सादिक़ नसीम

फूल बिखराती हर इक मौज-ए-हवा आती है

साबिर दत्त

जब कभी हादसात ने मारा

सबीहा सबा, पाकिस्तान

ज़िद हमारी दुआ से होती है

रियाज़ ख़ैराबादी

थी ज़र्फ़-ए-वज़ू में कोई शय पी गए क्या आप

रियाज़ ख़ैराबादी

तेज़ है पीने में हो जाएगी आसानी मुझे

रियाज़ ख़ैराबादी

सितम-ए-ना-रवा को रोते हैं

रियाज़ ख़ैराबादी

न आया हमें इश्क़ करना न आया

रियाज़ ख़ैराबादी

मुझ को लेना है तिरे रंग-ए-हिना का बोसा

रियाज़ ख़ैराबादी

जो थे हाथ मेहंदी लगाने के क़ाबिल

रियाज़ ख़ैराबादी

दिल ढूँढती है निगह किसी की

रियाज़ ख़ैराबादी

आरज़ू भी तो कर नहीं आती

रियाज़ ख़ैराबादी

नादान दिल-फ़रेब मोहब्बत न खा कभी

रिफ़अत सुलतान

घर को अब दश्त-ए-कर्बला लिक्खूँ

रिफ़अत सरोश

अच्छा ये करम हम पे तो सय्याद करे है

रिफ़अत सरोश

पहली बरसात की घटा छाई

रिफ़अत अल हुसैनी

फिर राह दिखा मुझ को ऐ मशरब-ए-रिंदाना

रज़ा जौनपुरी

क्या पूछते हो मुझ को मोहब्बत में क्या मिला

रज़ा जौनपुरी

हर अक्स ख़ुद एक आइना है

रज़ा हमदानी

ज़िंदगी जब से शनासा-ए-मुहालात हुई

रविश सिद्दीक़ी

वो निकहत-ए-गेसू फिर ऐ हम-नफ़साँ आई

रविश सिद्दीक़ी

ख़ल्वती-ए-ख़याल को होश में कोई लाए क्यूँ

रविश सिद्दीक़ी

इश्क़ की शरह-ए-मुख़्तसर के लिए

रविश सिद्दीक़ी

हुस्न-ए-असनाम ब-हर-लम्हा फ़ुज़ूँ है कि नहीं

रविश सिद्दीक़ी

दौर-ए-सबूही शोला-ए-मीना रक़्साँ छाँव में तारों की

रविश सिद्दीक़ी

बादा-ए-गुल को सब अंदोह-रुबा कहते हैं

रविश सिद्दीक़ी

दाम फैलाए हुए हिर्स-ओ-हवा हैं कितने

रौशन नगीनवी

जब कभी यादों का दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब

रौनक़ दकनी

कुछ हद भी ऐ फ़लक सितम-ए-ना-रवा की है

रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी

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