सहर Poetry (page 6)

ख़ुश्क आँखों से कहाँ तय ये मसाफ़त होगी

तारिक़ क़मर

पोशीदा किसी ज़ात में पहले भी कहीं था

तारिक़ नईम

हवा में आए तो लौ भी न साथ ली हम ने

तारिक़ नईम

निरवान

ताऊस

सोच का ज़हर न अब शाम-ओ-सहर दे कोई

तनवीर सामानी

दश्त में जो भी है जैसा मिरा देखा हुआ है

तनवीर सामानी

जचती नहीं कुछ शाही-ओ-इम्लाक नज़र में

तनवीर अंजुम

आसमान-ए-यास पर खोया सितारा ढूँढना

तनवीर अंजुम

मिरी ग़ज़ल जो नए साज़ से इबारत है

तनवीर अहमद अल्वी

मुझ को दिमाग़-ए-गर्मी-ए-बाज़ार है कहाँ

तालिब चकवाली

ये कार-ए-बे-समर है अगर कर लिया तो क्या

तालिब अंसारी

इक उम्र हुई और मैं अपने से जुदा हूँ

ताबिश सिद्दीक़ी

एक बुज़ुर्ग शायर परिंदे का तजरबा

ताबिश कमाल

ख़्वाहिशें और ख़ून

तबस्सुम काश्मीरी

ज़िंदगी दिल पे अजब सेहर सा करती जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

वो रौशनी कि ब-क़ैद-ए-सहर नहीं ऐ दोस्त

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

वो नाज़ुक सा तबस्सुम रह गया वहम-ए-हसीं बन कर

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

सर-ता-ब-क़दम एक हसीं राज़ का आलम

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

नुमू के फ़ैज़ से रंग-ए-चमन निखर सा गया

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

मंज़िलों से बेगाना आज भी सफ़र मेरा

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हुजूम-ए-दर्द का इतना बढ़े असर गुम हो

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हर मोड़ को चराग़-ए-सर-ए-रहगुज़र कहो

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

ऐसा कहाँ हुबाब कोई चश्म-ए-तर कि हम

ताबाँ अब्दुल हई

ता-सहर की है फ़ुग़ाँ जान के ग़ाफ़िल मुझ को

तअशशुक़ लखनवी

वो जो मिलता था कभी मुझ से बहारों की तरह

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

मुझ में आ कर ठहर गया कोई

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

यूँ क़त्ल-ए-आम नौ-ए-बशर कर दिया गया

सय्यद ज़मीर जाफ़री

हम अगर दश्त-ए-जुनूँ में न ग़ज़ल-ख़्वाँ होते

सय्यद ज़मीर जाफ़री

अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ इस क़दर मुझे

सय्यद ज़मीर जाफ़री

अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे

सय्यद ज़मीर जाफ़री

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