सहर Poetry (page 43)

दिए की लौ से न जल जाए तीरगी शब की

अबरार हामिद

हवा हर इक सम्त बह रही है

अबरार अहमद

मिरा बदन है मगर मुझ से अजनबी है अभी

आबिद आलमी

सुर्ख़ सहर से है तो बस इतना सा गिला हम लोगों का

अभिषेक शुक्ला

सफ़र के बा'द भी ज़ौक़-ए-सफ़र न रह जाए

अभिषेक शुक्ला

ये तबस्सुम का उजाला ये निगाहों की सहर

अब्दुर रऊफ़ उरूज

आज यादों ने अजब रंग बिखेरे दिल में

अब्दुर रऊफ़ उरूज

मिज़्गाँ ने रोका आँखों में दम इंतिज़ार से

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

जो तूँ मुर्ग़ा नहीं है ऐ ज़ाहिद

अब्दुल वहाब यकरू

नई ग़ज़ल का नई फ़िक्र-ओ-आगही का वरक़

अब्दुल वहाब सुख़न

मुद्दआ'-ओ-आरज़ू शौक़-ए-तमन्ना आप हैं

अब्दुल मन्नान तरज़ी

मर जाएँगे पिंदार का सौदा न करेंगे

अब्दुल मन्नान तरज़ी

मैं पहुँचा अपनी मंज़िल तक मगर आहिस्ता आहिस्ता

अब्दुल मन्नान तरज़ी

जब निगाह-ए-तलब मो'तबर हो गई

अब्दुल मन्नान तरज़ी

वक़्त अब सर पे वो आया है कि सर याद नहीं

अब्दुल मलिक सोज़

हम-नफ़सो उजड़ गईं मेहर-ओ-वफ़ा की बस्तियाँ

अब्दुल मजीद सालिक

मरहम-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर हो जाए

अब्दुल मजीद हैरत

मरहम ज़ख़्म-ए-जिगर हो जाए

अब्दुल मजीद हैरत

ग़म-ए-मोहब्बत सता रहा है ग़म-ए-ज़माना मसल रहा है

अब्दुल हमीद अदम

दुआएँ दे के जो दुश्नाम लेते रहते हैं

अब्दुल हमीद अदम

भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा

अब्दुल हमीद अदम

नख़चीर हूँ मैं कश्मकश-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र का

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

अलविदा

अब्दुल अहद साज़

सामेआ लज़्ज़त-ए-बयान-ज़दा

अब्दुल अहद साज़

मिज़ाज-ए-सहल-तलब अपना रुख़्सतें माँगे

अब्दुल अहद साज़

मिरी निगाहों पे जिस ने शाम ओ सहर की रानाइयाँ लिखी हैं

अब्दुल अहद साज़

सुब्ह की पहली किरन पहली नज़र से पहले

अब्बास ताबिश

रातें गुज़ारने को तिरी रहगुज़र के साथ

अब्बास ताबिश

हर-चंद तिरी याद जुनूँ-ख़ेज़ बहुत है

अब्बास ताबिश

बैठता उठता था मैं यारों के बीच

अब्बास ताबिश

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