सहर Poetry (page 3)

इक शख़्स रात बंद-ए-क़बा खोलता रहा

ज़हीर काश्मीरी

अहल-ए-दिल मिलते नहीं अहल-ए-नज़र मिलते नहीं

ज़हीर काश्मीरी

मुँह छुपाना पड़े न दुश्मन से

ज़हीर देहलवी

बुझाऊँ क्या चराग़-ए-सुब्ह-गाही

ज़हीर देहलवी

रंज राहत-असर न हो जाए

ज़हीर देहलवी

इश्क़ और इश्क़-ए-शोला-वर की आग

ज़हीर देहलवी

वो चाँदनी वो तबस्सुम वो प्यार की बातें

ज़हीर अहमद ज़हीर

ग़ुरूर-ओ-नाज़-ओ-तकब्बुर के दिन तो कब के गए

ज़हीर अहमद ज़हीर

उम्र-ए-अबद का मा-हसल इश्क़ का दौर-ए-ना-तमाम

ज़फ़र ताबाँ

उम्र-ए-अबद का मा-हसल इश्क़ का दौर-ए-ना-तमाम

ज़फ़र ताबाँ

रात भर सूरज के बन कर हम-सफ़र वापस हुए

ज़फ़र मुरादाबादी

नक़ाब उस ने रुख़-ए-हुस्न-ए-ज़र पे डाल दिया

ज़फ़र मुरादाबादी

वो नहीं उस की मगर जादूगरी मौजूद है

ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

ये हम जो पेट से ही सोचते हैं शाम ओ सहर

ज़फ़र इक़बाल

कुफ़्र से ये जो मुनव्वर मिरी पेशानी है

ज़फ़र इक़बाल

कुछ उस ने सोचा तो था मगर काम कर दिया था

ज़फ़र इक़बाल

जिस्म के रेगज़ार में शाम-ओ-सहर सदा करूँ

ज़फ़र इक़बाल

जहाँ निगार-ए-सहर पैरहन उतारती है

ज़फ़र इक़बाल

है और बात बहुत मेरी बात से आगे

ज़फ़र इक़बाल

पल पल जीने की ख़्वाहिश में कर्ब-ए-शाम-ओ-सहर माँगा

ज़फ़र गोरखपुरी

पल पल जीने की ख़्वाहिश में कर्ब-ए-शाम-ओ-सहर माँगा

ज़फ़र गोरखपुरी

ये दश्त-ए-शौक़ का लम्बा सफ़र अच्छा नहीं लगता

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

तिरे क़रीब रहूँ या कि मैं सफ़र में रहूँ

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

वादी-ए-नील

यूसुफ़ ज़फ़र

क्या ढूँडने आए हो नज़र में

यूसुफ़ ज़फ़र

हर लहज़ा मिरी ज़ीस्त मुझे बार-ए-गराँ है

यूसुफ़ तक़ी

पहले मैं तेरी नज़र में आया

यूसुफ़ हसन

ख़्वाब आईना कर रही है दिल में

यूसुफ़ हसन

हर नज़र में है असासा अपना

यूसुफ़ हसन

इक ख़ुशी के लिए हैं कितने ग़म

यज़दानी जालंधरी

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