सहर Poetry (page 4)

हमें ख़बर थी बचाने का उस में यारा नहीं

यासमीन हमीद

ढूँढता हक़ को दर-ब-दर है तू

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

ज़बाँ कुछ और कहती है नज़र कुछ और कहती है

याक़ूब उस्मानी

सब्र ख़ुद उकता गया अच्छा हुआ

याक़ूब उस्मानी

हवा-ए-सुब्ह-ए-नुमू दुश्मन-ए-चमन कैसे

याक़ूब राही

न पूछो ज़ीस्त-फ़साना तमाम होने तक

याक़ूब आमिर

फ़र्दा को दूर ही से हमारा सलाम है

यगाना चंगेज़ी

उदासी छा गई चेहरे पे शम-ए-महफ़िल के

यगाना चंगेज़ी

सलामत रहें दिल में घर करने वाले

यगाना चंगेज़ी

क़िस्सा किताब-ए-उम्र का क्या मुख़्तसर हुआ

यगाना चंगेज़ी

क़यामत है शब-ए-वादा का इतना मुख़्तसर होना

यगाना चंगेज़ी

बच कर कहाँ मैं उन की नज़र से निकल गया

वज़ीर अली सबा लखनवी

उम्मीद

वज़ीर आग़ा

उस की आवाज़ में थे सारे ख़द-ओ-ख़ाल उस के

वज़ीर आग़ा

किस किस से न वो लिपट रहा था

वज़ीर आग़ा

दिन ढल चुका था और परिंदा सफ़र में था

वज़ीर आग़ा

मुझे बुझा दे मिरा दौर मुख़्तसर कर दे

वसीम बरेलवी

दुआ करो कि कोई प्यास नज़्र-ए-जाम न हो

वसीम बरेलवी

चाँद का ख़्वाब उजालों की नज़र लगता है

वसीम बरेलवी

मुझ को दुनिया से बे-ख़बर कर दे

वसीम अकरम

बदले हुए हालात से मायूस न होना

वाक़िफ़ राय बरेलवी

गई है शाम अभी ज़ख़्म ज़ख़्म कर के मुझे

वक़ार मानवी

ग़म-ए-मोहब्बत है कार-फ़रमा दुआ से पहले असर से पहले

वक़ार बिजनोरी

कार्ल मार्क्स

वामिक़ जौनपुरी

मिरे फ़िक्र ओ फ़न को नई फ़ज़ा नए बाल-ओ-पर की तलाश है

वामिक़ जौनपुरी

ख़लिश सुकूँ का मुदावा नहीं तो कुछ भी नहीं

वामिक़ जौनपुरी

हो रही है दर-ब-दर ऐसी जबीं-साई कि बस

वामिक़ जौनपुरी

है मिरे पहलू में और मुझ को नज़र आता नहीं

वलीउल्लाह मुहिब

उधर वो बे-मुरव्वत बेवफ़ा बे-रहम क़ातिल है

वलीउल्लाह मुहिब

है मिरे पहलू में और मुझ को नज़र आता नहीं

वलीउल्लाह मुहिब

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