शबनम Poetry (page 10)

ख़त्म हुई बारिश-ए-संग

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दस्त-ए-तह-ए-संग-आमदा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ये जफ़ा-ए-ग़म का चारा वो नजात-ए-दिल का आलम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कहाँ सबात-ए-ग़म-ए-दिल कहाँ सराब-ए-सुकूँ

एजाज़ वारसी

नवेद-ए-यौम-ए-बहाराँ ख़िज़ाँ से ज़ाहिर हो

एजाज़ अासिफ़

इश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दिया

एहसान दानिश

अल्लामा-'इक़बाल' को शिकवा

दिलावर फ़िगार

आग के फूल पे शबनम के निशाँ ढूँडोगे

दीपक क़मर

ज़िंदगी का किस लिए मातम रहे

दत्तात्रिया कैफ़ी

इश्क़ शबनम नहीं शरारा है

दर्शन सिंह

हमें तो बाग़ तुझ बिन ख़ाना-ए-मातम नज़र आया

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

चमन में सुब्ह ये कहती थी हो कर चश्म-ए-तर शबनम

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

फ़लक देता है जिन को ऐश उन को ग़म भी होते हैं

दाग़ देहलवी

क़तरा क़तरा एहसास

चन्द्रभान ख़याल

गुम-शुदा आदमी का इंतिज़ार

चन्द्रभान ख़याल

हल्की हल्की बूँदें बरसीं पंछी करें कलोल

चमन लाल चमन

कुछ ऐसा पास-ए-ग़ैरत उठ गया इस अहद-ए-पुर-फ़न में

चकबस्त ब्रिज नारायण

राज़ है इबरत-असर फ़ितरत की हर तहरीर का

बेबाक भोजपुरी

फ़स्ल-ए-बहार जाने ये क्या गुल कतर गई

बेबाक भोजपुरी

फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे

बशीर बद्र

वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे

बशीर बद्र

उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ

बशीर बद्र

तारों भरी पलकों की बरसाई हुई ग़ज़लें

बशीर बद्र

सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में

बशीर बद्र

पिछली रात की नर्म चाँदनी शबनम की ख़ुनकी से रचा है

बशीर बद्र

फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे

बशीर बद्र

मेरी आँखों में तिरे प्यार का आँसू आए

बशीर बद्र

मेरे सीने पर वो सर रक्खे हुए सोता रहा

बशीर बद्र

ख़ून पत्तों पे जमा हो जैसे

बशीर बद्र

मुझे जीना नहीं आता

बशर नवाज़

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