शोर Poetry (page 15)

तज़ईन-ए-बज़्म-ए-ग़म के लिए कोई शय तो हो

होश तिर्मिज़ी

दस्तक हवा ने दी है ज़रा ग़ौर से सुनो

हिमायत अली शाएर

दिल में इक शोर उठाते हैं चले जाते हैं

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई

हीरा लाल फ़लक देहलवी

मैं ख़ाल-ओ-ख़द का सरापा तसव्वुरात में था

हयात लखनवी

ज़िक्र-ए-जानाँ कर जो तुझ से हो सके

हातिम अली मेहर

नाला-ए-गर्म के और दम सर्द भरे क्या जिएँ हम तो मरे

हातिम अली मेहर

गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था

हातिम अली मेहर

हर्फ़-ए-इंकार कि इक़रार-ए-वफ़ा था क्या था

हसरत देवबंदी

रखा पा जहाँ में नगारा ज़मीं पर

हसरत अज़ीमाबादी

न छुटा हाथ से यक लहज़ा गरेबाँ मेरा

हसरत अज़ीमाबादी

जिस का मयस्सर न था भर के नज़र देखना

हसरत अज़ीमाबादी

आता हूँ जब उस गली से सौ सौ ख़्वारी खींच कर

हसरत अज़ीमाबादी

यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है

हसीब सोज़

वो जो दर्द था तिरे इश्क़ का वही हर्फ़ हर्फ़-ए-सुख़न में है

हसन नईम

मंज़र में अगर कुछ भी दिखाई नहीं देगा

हसन नासिर

अजीब हाल है सहरा-नशीं हैं घर वाले

हसन अज़ीज़

मशरिक़ी लड़कियों के नाम एक नज़्म

हसन अकबर कमाल

क्या गुमाँ था कि न होगा कोई हम-सर अपना

हसन अकबर कमाल

रात-दिन पुर-शोर साहिल जैसा मंज़र मुझ में था

हसन अब्बासी

घर से मेरा रिश्ता भी कितना रहा

हसन अब्बासी

शहर में शोर है उस शोख़ के आ जाने का

हसन आबिद

ख़ुद को पाने की जुस्तुजू है वही

हसन आबिद

आवाज़

हारिस ख़लीक़

आइए आसमाँ की ओर चलें

हनीफ़ तरीन

हुज्रा-ए-ख़्वाब से बाहर निकला

हम्माद नियाज़ी

हमारे बस में क्या है और हमारे बस में क्या नहीं

हम्माद नियाज़ी

बे-सबब हो के बे-क़रार आया

हम्माद नियाज़ी

रात

हमीदा शाहीन

सहरा में हर तरफ़ है वही शोर-ए-अल-अतश

हामिद हुसैन हामिद

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