शोर Poetry (page 3)

सर में सौदा भी वही कूचा-ए-क़ातिल भी वही

ज़फ़र अनवर

ये जो तेरी आँखों में मा'नी-ए-वफ़ा सा है

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

हर सम्त शोर-ए-बंदा ओ साहिब है शहर में

ज़फ़र अज्मी

आ के जब ख़्वाब तुम्हारे ने कहा बिस्मिल्लाह

ज़फ़र अज्मी

तेरी आँखों से मिली जुम्बिश मिरी तहरीर को

योगेन्द्र बहल तिश्ना

लबों तक आया ज़बाँ से मगर कहा न गया

यज़दानी जालंधरी

हमें सैराब रक्खा है ख़ुदा का शुक्र है उस ने

यासमीन हबीब

हमें भी तजरबा है बे-घरी का छत न होने का

यासमीन हबीब

इक दिल में था इक सामने दरिया उसे कहना

यासमीन हबीब

अभी गुज़रे दिनों की कुछ सदाएँ शोर करती हैं

यासमीन हबीब

उमंगों में वही जोश-ए-तमन्ना-ज़ाद बाक़ी है

याक़ूब उस्मानी

धीरे धीरे सर में आ कर भर गया बरसों का शोर

याक़ूब आमिर

क्या हुआ हम से जो दुनिया बद-गुमाँ होने लगी

याक़ूब आमिर

चंद घंटे शोर ओ ग़ुल की ज़िंदगी चारों तरफ़

याक़ूब आमिर

शहर में था न तिरे हुस्न का ये शोर कभू

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

अगरचे इश्क़ में आफ़त है और बला भी है

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

क़िस्सा-ख़्वानी

यामीन

ख़ुदा गवाह

यहया अमजद

ख़ुदा की मार वो अय्याम-ए-शोर-ओ-शर गुज़रे

यगाना चंगेज़ी

वाइ'ज़ के मैं ज़रूर डराने से डर गया

वज़ीर अली सबा लखनवी

कितनी बार बुलाया उस को

वज़ीर आग़ा

ज़हराब पीने वाले अमर हो के रह गए

वामिक़ जौनपुरी

ख़लिश सुकूँ का मुदावा नहीं तो कुछ भी नहीं

वामिक़ जौनपुरी

दिल तोड़ कर वो दिल में पशीमाँ हुआ तो क्या

वामिक़ जौनपुरी

वो जो लैला है मिरे दिल में सुने उस का जो शोर

वलीउल्लाह मुहिब

मय-कदे में मस्त हैं और शोर उन का हाव-हू

वलीउल्लाह मुहिब

मैं जीते-जी तलक रहूँ मरहून आप का

वलीउल्लाह मुहिब

अश्क-बारी का मिरी आँखों ने ये बाँधा है झाड़

वलीउल्लाह मुहिब

मोहकमे में इश्क़ के है यारो दीवाने का शोर

वली उज़लत

वो क्या दिन थे जो क़ातिल-बिन दिल-ए-रंजूर रो देता

वली उज़लत

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