सोच Poetry (page 16)

लम्हों का भँवर चीर के इंसान बना हूँ

फख्र ज़मान

जो धूप की तपती हुई साँसों से बची सोच

फख्र ज़मान

ऐ हम-सफ़रो क्यूँ न नया शहर बसा लें

फख्र ज़मान

दीवाना-पन और बेकारी मिलती है

फख़्र अब्बास

बोला हैं रंग कितने ज़माने के और भी

फ़ाख़िरा बतूल

जानता हूँ कि कई लोग हैं बेहतर मुझ से

फ़ैज़ी

बस यही सोच के रहता हूँ मैं ज़िंदा इस में

फ़ैज़ान हाशमी

बस यही सोच के रहता हूँ मैं ज़िंदा इस में

फ़ैज़ान हाशमी

काँच के शहर में पत्थर न उठाओ यारो

फ़ैज़ुल हसन

जाने क्या सोच के उस ने सितम ईजाद किया

फ़ैज़ुल हसन

एक मुद्दत से सर-ए-बाम वो आया भी नहीं

फ़ैज़ुल हसन

फ़िक्र-ए-दिलदारी-ए-गुलज़ार करूँ या न करूँ

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जहाँ में ख़ुद को बनाने में देर लगती है

फ़ैय्याज़ रश्क़

नज़्र-ए-फ़िराक़

फ़हमीदा रियाज़

इंक़िलाबी औरत

फ़हमीदा रियाज़

बैठा है मेरे सामने वो

फ़हमीदा रियाज़

''ला'' भी है एक गुमाँ

फ़हीम शनास काज़मी

बर्ग-ए-सदा को लब से उड़े देर हो गई

फ़हीम शनास काज़मी

शाम ख़ामोश है पेड़ों पे उजाला कम है

फ़हीम जोगापुरी

उजाले तेल छिड़कने लगे उजालों पर

एज़ाज़ अफ़ज़ल

जब फैल के वीरानों से वीराने मिलेंगे

एज़ाज़ अफ़ज़ल

उजाले तेल छिड़कने लगे उजालों पर

एज़ाज़ अफ़ज़ल

लाशें

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

अब कर्ब के तूफ़ाँ से गुज़रना ही पड़ेगा

एजाज़ रहमानी

मैं

एजाज़ फ़ारूक़ी

कभी आँसू कभी ख़्वाबों के धारे टूट जाते हैं

दिनेश ठाकुर

आइने से कब तलक तुम अपना दिल बहलाओगे

दिनेश ठाकुर

कराची की बस

दिलावर फ़िगार

दूर के एक नज़ारे से निकल कर आई

दिलावर अली आज़र

अदा-ए-हैरत-ए-आईना-गर भी रखते हैं

दिल अय्यूबी

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