सोच Poetry (page 3)

बात भी आप के आगे न ज़बाँ से निकली

वज़ीर अली सबा लखनवी

पीपल

वज़ीर आग़ा

आवेज़िश

वज़ीर आग़ा

डर मौत का न ख़ौफ़ किसी देवता का था

वसीम मीनाई

जो शख़्स मिरा दस्त-ए-हुनर काट रहा है

वसीम मलिक

रात भर तुम न जागते रहियो

वक़ास बलूच

लबों पे शिकवा-ए-अय्याम भी नहीं होता

वक़ार सहर

बे-मिस्ल-ओ-बे-हिसाब उजालों के बा'द भी

वक़ार ख़ान

सहराओं में भी कोई हमराज़ गुलों का है

वाजिद सहरी

होंट मसरूफ़-ए-दुआ आँख सवाली क्यूँ है

वजीह सानी

अच्छा हुआ कि इश्क़ में बर्बाद हो गए

वजीह सानी

दिल के कहने पे चलूँ अक़्ल का कहना न करूँ

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

ख़ुश्बू है कभी गुल है कभी शम्अ कभी है

वहीद अख़्तर

शफ़्फ़ाफियाँ

वहीद अहमद

इबहाम दीदा

वहाब दानिश

अब तो सोच लिया है यारो दिल का ख़ूँ हो जाने दूँ

विश्वनाथ दर्द

और सब कुछ बहाल रक्खा है

विनीत आश्ना

कई सम्तों में रस्ता बट रहा है

विकास शर्मा राज़

बाहर बाहर सन्नाटा है अंदर अंदर शोर बहुत

उमर अंसारी

नज़र उठा दिल-ए-नादाँ ये जुस्तुजू क्या है

तिलोकचंद महरूम

वाहिमा होगा यहाँ कोई न आया होगा

तौसीफ़ तबस्सुम

क्या बताऊँ कि है किस ज़ुल्फ़ का सौदा मुझ को

तौसीफ़ तबस्सुम

हुए थे भाग के पर्दे में तुम निहाँ क्यूँकर

मीर तस्कीन देहलवी

चलो के मिल के बदल देते हैं समाजों को

तासीर सिद्दीक़ी

निगहबान-ए-चमन अब धूप और पानी से क्या होगा

तारिक़ मतीन

उस के बदन का लम्स अभी उँगलियों में है

तारिक़ जामी

भूली हुई राहों का सफ़र कैसा लगेगा

तारिक़ बट

रात के पड़ाव पर

तनवीर अंजुम

किस तरह उस को बुलाऊँ ख़ाना-ए-बर्बाद में

तनवीर अंजुम

वो कम-सुख़न न था पर बात सोच कर करता

तैमूर हसन

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