मामला Poetry (page 51)

जल्वा न हो मअ'नी का तो सूरत का असर क्या

अकबर इलाहाबादी

इलाही कैसी कैसी सूरतें तू ने बनाई हैं

अकबर इलाहाबादी

नई तहज़ीब

अकबर इलाहाबादी

मिस सीमीं बदन

अकबर इलाहाबादी

मिल गया शरअ से शराब का रंग

अकबर इलाहाबादी

मअ'नी को भुला देती है सूरत है तो ये है

अकबर इलाहाबादी

ग़म्ज़ा नहीं होता कि इशारा नहीं होता

अकबर इलाहाबादी

फ़लसफ़ी को बहस के अंदर ख़ुदा मिलता नहीं

अकबर इलाहाबादी

बे-तकल्लुफ़ बोसा-ए-ज़ुल्फ़-ए-चलीपा लीजिए

अकबर इलाहाबादी

जिस दिन से गया वो जान-ए-ग़ज़ल हर मिसरे की सूरत बिगड़ी

अजमल सिद्दीक़ी

इतराता गरेबाँ पर था बहुत, रह-ए-इश्क़ में कब का चाक हुआ

अजमल सिद्दीक़ी

जहाँ न दिल को सुकून है न है क़रार मुझे

आजिज़ मातवी

ये किस लिए है तू इतना उदास दरवाज़े

अजीत सिंह हसरत

इतना पसपा न हो दीवार से लग जाएगा

ऐतबार साजिद

छोटे छोटे कई बे-फ़ैज़ मफ़ादात के साथ

ऐतबार साजिद

ये क्या हालत बना रक्खी है ये आसार कैसे हैं

ऐतबार साजिद

फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थे

ऐतबार साजिद

फिर वही लम्बी दो-पहरें हैं फिर वही दिल की हालत है

ऐतबार साजिद

कहा तख़्लीक़-ए-फ़न बोले बहुत दुश्वार तो होगी

ऐतबार साजिद

छोटे छोटे कई बे-फ़ैज़ मफ़ादात के साथ

ऐतबार साजिद

मैं अल्बम के वरक़ जब भी उलटता हूँ

ऐन ताबिश

अदम से परे

ऐन ताबिश

ताबिश ये भला कौन सी रुत आई है जानी

ऐन ताबिश

ये कौन वक़्त की सूरत मुझे बदलता है

ऐन सलाम

न तीरगी के लिए हूँ न रौशनी के लिए

ऐन सलाम

मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है

अहसन मारहरवी

साक़ी-ओ-वाइ'ज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है

अहसन मारहरवी

साक़ी-ओ-वाइ'ज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है

अहसन मारहरवी

मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है

अहसन मारहरवी

क्या ज़रूरत बे-ज़रूरत देखना

अहसन मारहरवी

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