छोटे छोटे कई बे-फ़ैज़ मफ़ादात के साथ
लोग ज़िंदा हैं अजब सूरत-ए-हालात के साथ
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Anwar Masood
Rahat Indori
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Javed Akhtar
Habib Jalib
Gulzar
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फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थे
तुम्हें ख़याल-ए-ज़ात है शुऊर-ए-ज़ात ही नहीं
गुफ़्तुगू देर से जारी है नतीजे के बग़ैर
कभी तू ने ख़ुद भी सोचा कि ये प्यास है तो क्यूँ है
मुहताज हम-सफ़र की मसाफ़त न थी मिरी
फिर वही लम्बी दो-पहरें हैं फिर वही दिल की हालत है
जिस को हम ने चाहा था वो कहीं नहीं इस मंज़र में
धड़कन धड़कन यादों की बारात अकेला कमरा
रिहा कर दे क़फ़स की क़ैद से घायल परिंदे को
दिए मुंडेर प रख आते हैं हम हर शाम न जाने क्यूँ
छोटे छोटे से मफ़ादात लिए फिरते हैं