कड़वा Poetry (page 3)

अपने को तलाश कर रहा हूँ

रईस अमरोहवी

तल्ख़-ओ-तुर्श

राही मासूम रज़ा

गड़े मर्दों ने अक्सर ज़िंदा लोगों की क़यादत की

इक़बाल साजिद

अल्लाह रे यादों की ये अंजुमन-आराई

इक़बाल अज़ीम

वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया

इमदाद अली बहर

आश्ना कोई बा-वफ़ा न मिला

इमदाद अली बहर

हज़ार तल्ख़ हों यादें मगर वो जब भी मिले

इफ़्तिख़ार नसीम

न जाने कब वो पलट आएँ दर खुला रखना

इफ़्तिख़ार नसीम

मतला ग़ज़ल का ग़ैर ज़रूरी क्या क्यूँ कब का हिस्सा है

इदरीस बाबर

तड़प के हाल सुनाया तो आँख भर आई

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

दिल शादमाँ हो ख़ुल्द की भी आरज़ू न हो

हीरा लाल फ़लक देहलवी

हम इश्क़ सिवा कम हैं किसी नाम से वाक़िफ़

हसरत अज़ीमाबादी

है रश्क-ए-वस्ल से ग़म-ए-दिलदार ही भला

हसरत अज़ीमाबादी

लुत्फ़-ए-आग़ाज़ मिला लज़्ज़त-ए-अंजाम के बा'द

हसन नईम

फिर उन की याद के दीपक जलाए हैं मैं ने

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

साक़िया ऐसा पिला दे मय का मुझ को जाम तल्ख़

हक़ीर

इश्क़ के फंदे से बचिए ऐ 'हक़ीर'-ए-ख़स्ता-दिल

हक़ीर

साक़िया ऐसा पिला दे मय का मुझ को जाम तल्ख़

हक़ीर

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

तमाम रात आँसुओं से ग़म उजालता रहा

हफ़ीज़ मेरठी

इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी

हफ़ीज़ जालंधरी

इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी

हफ़ीज़ जालंधरी

हयात-ए-जावेदाँ वाले ने मारा

हफ़ीज़ जालंधरी

क़त्अ होता रहे इस तरह बयान-ए-वाइज़

हबीब मूसवी

बे-नियाज़-ए-बहार सा क्यूँ है

ग़यास अंजुम

रखियो 'ग़ालिब' मुझे इस तल्ख़-नवाई में मुआफ़

ग़ालिब

शिकवे के नाम से बे-मेहर ख़फ़ा होता है

ग़ालिब

जिसे लोग कहते हैं तीरगी वही शब हिजाब-ए-सहर भी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

वो ख़ाली हाथ सफ़र-ए-आब पर रवाना हुआ

फ़र्रुख़ जाफ़री

किसी के एक इशारे में किस को क्या न मिला

फ़ानी बदायुनी

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