अलगाव Poetry (page 29)

आँखों से अयाँ ज़ख़्म की गहराई तो अब है

ऐतबार साजिद

ला-मकाँ से भी परे ख़ुद से मुलाक़ात करें

ऐनुद्दीन आज़िम

क्या करूँ ज़र्फ़-ए-शनासाई को

ऐनुद्दीन आज़िम

मैं अल्बम के वरक़ जब भी उलटता हूँ

ऐन ताबिश

मुझ को ना-कर्दा गुनह का मो'तरिफ़ होना पड़ा

ऐन ताबिश

मेरी तन्हाई के एजाज़ में शामिल है वही

ऐन ताबिश

बे-मक़्सद महफ़िल से बेहतर तन्हाई

ऐन इरफ़ान

तन्हा तन्हा सहमी सहमी ख़ामोशी

ऐन इरफ़ान

काट गई कोहरे की चादर सर्द हवा की तेज़ी माप

अहसन शफ़ीक़

काएनात-ए-ज़ात का मुसाफ़िर

अहमद ज़फ़र

आसमाँ की आँख सूरज चाँद बीनाई भी है

अहमद ज़फ़र

यादों की तज्सीम पे मेहनत होती है

अहमद शहरयार

मन के बरगद तले अँगारों की माला भी जपी

अहमद रज़ी बछरायूनी

ग़म-ए-हयात में कोई कमी नहीं आई

अहमद राही

दिल के सुनसान जज़ीरों की ख़बर लाएगा

अहमद राही

इक सफ़ीना है तिरी याद अगर

अहमद नदीम क़ासमी

वो कोई और न था चंद ख़ुश्क पत्ते थे

अहमद नदीम क़ासमी

तेरी महफ़िल भी मुदावा नहीं तन्हाई का

अहमद नदीम क़ासमी

फ़ासले के मअ'नी का क्यूँ फ़रेब खाते हो

अहमद नदीम क़ासमी

थम गया दर्द उजाला हुआ तन्हाई में

अहमद मुश्ताक़

कभी ख़्वाहिश न हुई अंजुमन-आराई की

अहमद मुश्ताक़

हाथ से नापता हूँ दर्द की गहराई को

अहमद मुश्ताक़

छिन गई तेरी तमन्ना भी तमन्नाई से

अहमद मुश्ताक़

उस के लहजे का वो उतार चढ़ाओ

अहमद जावेद

ज़ंजीरों से बँधा हुआ हर एक यहूदी तकता था

अहमद जहाँगीर

नाज़ कर नाज़ तिरे नाज़ पे है नाज़ मुझे

अहमद हुसैन माइल

ये जो इक सैल-ए-फ़ना है मिरे पीछे पीछे

अहमद फ़रीद

सामने उम्र पड़ी है शब-ए-तन्हाई की

अहमद फ़राज़

तो बेहतर है यही

अहमद फ़राज़

मुझ से पहले

अहमद फ़राज़

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