तैयार Poetry (page 2)

अब और तब

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

या तो वो क़ुर्ब था या दूर हुआ जाता हूँ

सय्यद बशीर हुसैन बशीर

ज़ौक़ पे शौक़ पे मिट जाने को तय्यार उठा

सुलैमान अहमद मानी

बातें करने में तो दुनिया में सभी होश्यार थे

शोभा कुक्कल

मश्वरों से भरी अलमारी

शौकत आबिदी

जनाज़े में तो आओगे न मेरे

शारिक़ कैफ़ी

कहानी में छोटा सा किरदार है

शकील जमाली

तुझ पे जाँ देने को तय्यार कोई तो होगा

शहज़ाद अहमद

सूरज की किरन देख के बेज़ार हुए हो

शहज़ाद अहमद

शहर का शहर अगर आए भी समझाने को

शहज़ाद अहमद

प्यार के रंग-महल बरसों में तय्यार हुए

शहज़ाद अहमद

मक़्तल में चमकती हुई तलवार थे हम लोग

शाहिद कमाल

दुनिया तो ये कहती है

शाहीन ग़ाज़ीपुरी

कैसा कैसा दर पस-ए-दीवार करना पड़ गया

शाहीन अब्बास

मुज़्तरिब हैं सभी तक़दीर बदलने के लिए

सगुफ़ता यासमीन

अब मुझ को रुख़्सत होना है अब मेरा हार-सिंघार करो

शबनम शकील

सब तोड़ के बंधन दुनिया के मैं प्यार की जोत जगाऊँगी

शबनम शकील

अक्सर अपने दर-पए-आज़ार हो जाते हैं हम

शबनम शकील

अब मुझ को रुख़्सत होना है कुछ मेरा हार-सिंघार करो

शबनम शकील

बरतर समाज से कोई फ़नकार भी नहीं

शबाब ललित

सहरा की बे-आब ज़मीं पर एक चमन तय्यार किया

शायर लखनवी

दिल तेरे तग़ाफ़ुल से ख़बर-दार न हो जाए

सीमाब अकबराबादी

कहाँ से ढूँढ के लाऊँ पुराने ख़्वाब आँखों में

सावन शुक्ला

ख़राबे में बौछार हो कर रहेगी

सौरभ शेखर

ख़ून की ख़ुश्बू

सत्यपाल आनंद

लफ़्ज़ों के दरमियान

सरवत हुसैन

आधा कमरा

सारा शगुफ़्ता

कुछ भी नहीं है बाक़ी बाज़ार चल रहा है

सालिम सलीम

आईना ख़ुद भी सँवरता था हमारी ख़ातिर

सलीम कौसर

कुछ भी था सच के तरफ़-दार हुआ करते थे

सलीम कौसर

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