तैयार Poetry (page 3)

मुबारकबाद

साइमा असमा

उर्दू-ए-मुअ'ल्ला

सफ़ी लखनवी

एक वसिय्यत

सादिक़

गरचे सहल नहीं लेकिन तेरे कहने पर लाऊँगा

सादिक़

चैन घर में न कभी तेरे नगर में पाऊँ

रूही कंजाही

दहका पड़ा है जामा-ए-गुल यार ख़ैर हो

रज़ी रज़ीउद्दीन

कुछ लोग समझने ही को तयार नहीं थे

राज़ी अख्तर शौक़

क्या न-दीदों से ज़माने को सरोकार है आज

रज़ा अज़ीमाबादी

अफ़्लाक गूँगे हैं

रविश नदीम

शौक़ की हद को अभी पार किया जाना है

राजेश रेड्डी

न लगी मुझ को जब उस शोख़-ए-तरहदार की गेंद

इंशा अल्लाह ख़ान

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

इंशा अल्लाह ख़ान

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

इंशा अल्लाह ख़ान

हमीं नाशाद नज़र आते हैं दिल-शाद हैं सब

इमदाद अली बहर

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा

इफ़्तिख़ार नसीम

डुबोएगी बुतो ये जिस्म दरिया-बार पानी में

हातिम अली मेहर

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

यार इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-ज़ार ही रहा

हसरत अज़ीमाबादी

पहले नज़्र लब-ओ-रुख़्सार करेगी दुनिया

हसन निज़ामी

जादू-ए-ख़्वाब में कुछ ऐसे गिरफ़्तार हुए

हसन नईम

फिरता रहता हूँ मैं हर लहज़ा पस-ए-जाम-ए-शराब

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

आमदनी और ख़र्च

हाजी लक़ लक़

पेड़ के पत्तों में हलचल है ख़बर-दार से हैं

गुलज़ार

एक ज़ाती नज़्म

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

मिलने की हर आस के पीछे अन-देखी मजबूरी थी

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

नहीं अब रोक पाएगी फ़सील-ए-शहर पानी को

ग़ुलाम हुसैन साजिद

एक घर अपने लिए तय्यार करना है मुझे

ग़ुलाम हुसैन साजिद

जाती रुत से प्यार करोगे

गौहर होशियारपुरी

हर नाला तिरे दर्द से अब और ही कुछ है

फ़िराक़ गोरखपुरी

एहसास

फ़ारूक़ नाज़की

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