तीरगी Poetry (page 10)

मौत दिल से लिपट गई उस शब

अबरार अहमद

मगर ये तीरगी जाने का नाम लेती नहीं

आबिद वदूद

चमका जो चाँद रात का चेहरा निखर गया

अब्दुल्लाह जावेद

हर मसर्रत से किनारा कर लिया

अब्दुल मलिक सोज़

हर मसर्रत से किनारा कर लिया

अब्दुल मलिक सोज़

कितनी महबूब थी ज़िंदगी कुछ नहीं कुछ नहीं

अब्दुल हमीद

थी याद किस दयार की जो आ के यूँ रुला गई

आज़िम कोहली

बर्क़ बाराँ तीरगी और ज़लज़ला

आसिम शहनवाज़ शिबली

मानूस हो गए हैं ग़म-ए-ज़िंदगी से हम

आसी रामनगरी

दिल की बात क्या कहिए दिल अजीब बस्ती है

आसी रामनगरी

मिलन की साअ'त को इस तरह से अमर किया है

आनिस मुईन

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