तीरगी Poetry (page 3)

थोड़ा सा रंग रात के चेहरे पे डाल दो

शहज़ाद अहमद

न बस्तियों को अज़ीज़ रक्खें न हम बयाबाँ से लौ लगाएँ

शहज़ाद अहमद

ख़ुद ही मिल बैठे हो ये कैसी शनासाई हुई

शहज़ाद अहमद

वापसी

शहरयार

सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का

शहरयार

उसे जब भी देखा बहुत ध्यान से

शाहिदा तबस्सुम

इक हुजूम-ए-गिर्या की हर नज़र तमाशाई

शाहिदा तबस्सुम

न जाने क्या हुए अतराफ़ देखने वाले

शाहिद मीर

किताब-ए-दिल के वरक़ जो उलट के देखता है

शाहिद जमाल

इक ऐसा वक़्त भी सहरा में आने वाला है

शहबाज़ ख़्वाजा

मैं

शहाब जाफ़री

इस धूप से क्या गिला है मुझ को

शहाब जाफ़री

कोई टूटी हुई कश्ती का तख़्ता भी अगर है ला

शफ़ीक़ जौनपुरी

कली पर मुस्कुराहट आज भी मालूम होती है

शफ़ीक़ जौनपुरी

ख़्वाह मुफ़्लिसी से निकल गया या तवंगरी से निकल गया

शाद बिलगवी

जो थके थके से थे हौसले वो शबाब बन के मचल गए

शायर लखनवी

जो ग़म-ए-हबीब से दूर थे वो ख़ुद अपनी आग में जल गए

शायर लखनवी

आदम का जिस्म जब कि अनासिर से मिल बना

मोहम्मद रफ़ी सौदा

रौशनी से तीरगी ताबीर कर दी जाएगी

सरवर अरमान

मरने का पता दे मिरे जीने का पता दे

सरमद सहबाई

करनी नहीं है दुनिया में इक दुश्मनी मुझे

संजीव आर्या

सुब्ह-ए-सफ़र का राज़ किसी पर यहाँ न खोल

सलीम शाहिद

रौशन सुकूत सब उसी शो'ला-बयाँ से है

सलीम शाहिद

खुलती है गुफ़्तुगू से गिरह पेच-ओ-ताब की

सलीम शाहिद

सफ़र से आए तो फिर इक सफ़र नसीब हुआ

सलीम सरफ़राज़

बस लौट आना

सलीम फ़िगार

इक एक लफ़्ज़ में कई पहलू कहाँ से आए

सलीम फ़राज़

दिया

सलीम अहमद

सरहद-ए-फ़ना तक भी तीरगी नहीं आई

सलाम मछली शहरी

दुल्हन भी अगर बन के आएगी रात

सख़ी लख़नवी

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.