वफ़ा Poetry (page 5)

इक ख़ुशी के लिए हैं कितने ग़म

यज़दानी जालंधरी

सहने को तो सह जाएँ ग़म-ए-कौन-ओ-मकाँ तक

यावर अब्बास

कोई पूछे मिरे महताब से मेरे सितारों से

यासमीन हमीद

हम ने किसी को अहद-ए-वफ़ा से रिहा किया

यासमीन हमीद

दौलत-ए-दर्द समेटो कि बिखरने को है

यासमीन हमीद

करम नहीं तो सितम ही सही रवा रखना

यासीन क़ुदरत

ज़िंदगी दश्त-ए-बला हो जैसे

याक़ूब राही

सुर्ख़ लावे की तरह तप के निखरना सीखो

याक़ूब राही

दाग़-हा-ए-दिल की ताबानी गई

याक़ूब अली आसी

नज़रों में कहाँ उस की वो पहला सा रहा मैं

याक़ूब आमिर

शहर में था न तिरे हुस्न का ये शोर कभू

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

हक़ मुझे बातिल-आशना न करे

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

अगरचे इश्क़ में आफ़त है और बला भी है

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई

यगाना चंगेज़ी

जब हुस्न-ए-बे-मिसाल पर इतना ग़ुरूर था

यगाना चंगेज़ी

दामन-ए-क़ातिल जो उड़ उड़ कर हवा देने लगे

यगाना चंगेज़ी

चलता नहीं फ़रेब किसी उज़्र-ख़्वाह का

यगाना चंगेज़ी

क़ब्र पर बाद-ए-फ़ना आइएगा

वज़ीर अली सबा लखनवी

दुख दर्द में हमेशा निकाले तुम्हारे ख़त

वसी शाह

क्या हुआ उस ने जो आशिक़ से जफ़ाकारी की

वसीम ख़ैराबादी

उसे समझने का कोई तो रास्ता निकले

वसीम बरेलवी

तुम्हें ग़मों का समझना अगर न आएगा

वसीम बरेलवी

मिटे वो दिल जो तिरे ग़म को ले के चल न सके

वसीम बरेलवी

अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा

वसीम बरेलवी

लहू लहू सा दिल-ए-दाग़-दार ले के चले

वाक़िफ़ राय बरेलवी

देख पगली न दल लगा मिरे साथ

वक़ार ख़ान

कुएँ जो पानी की बिन प्यास चाह रखते हैं

वक़ार हिल्म सय्यद नगलवी

नए गुल खिले नए दिल बने नए नक़्श कितने उभर गए

वामिक़ जौनपुरी

उधर वो बे-मुरव्वत बेवफ़ा बे-रहम क़ातिल है

वलीउल्लाह मुहिब

शब न ये सर्दी से यख़-बस्ता ज़मीं हर तर्फ़ है

वलीउल्लाह मुहिब

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