वहशत Poetry (page 13)

ऐ आवारा यादो फिर ये फ़ुर्सत के लम्हात कहाँ

राही मासूम रज़ा

ख़ुद को मुम्ताज़ बनाने की दिली-ख़्वाहिश में

राही फ़िदाई

चुप है आग़ाज़ में, फिर शोर-ए-अजल पड़ता है

इरफ़ान सत्तार

अब तिरे लम्स को याद करने का इक सिलसिला और दीवाना-पन रह गया

इरफ़ान सत्तार

आज बाम-ए-हर्फ़ पर इम्कान भर मैं भी तो हूँ

इरफ़ान सत्तार

एक ज़हरीली रिफ़ाक़त के सिवा है और क्या

इरफ़ान अहमद

तुम मुझे भी काँच की पोशाक पहनाने लगे

इक़बाल साजिद

कितने ही लोग दिल तलक आ कर गुज़र गए

इक़बाल मतीन

ये नहीं पहले तिरी याद से निस्बत कम थी

इक़बाल अशहर

न पूछो दोस्तो मैं किस तरह हँसता हँसाता हूँ

इन्तिज़ार ग़ाज़ीपुरी

ज़मीं से उट्ठी है या चर्ख़ पर से उतरी है

इंशा अल्लाह ख़ान

ये नहीं बर्क़ इक फ़रंगी है

इंशा अल्लाह ख़ान

यास-ओ-उमीद-ओ-शादी-ओ-ग़म ने धूम उठाई सीने में

इंशा अल्लाह ख़ान

वो देखा ख़्वाब क़ासिर जिस से है अपनी ज़बाँ और हम

इंशा अल्लाह ख़ान

मल ख़ून-ए-जिगर मेरा हाथों से हिना समझे

इंशा अल्लाह ख़ान

एक दिन रात की सोहबत में नहीं होते शरीक

इंशा अल्लाह ख़ान

वो जो कहीं नहीं है

इंजिला हमेश

ख़ुदा से कलाम

इंजिला हमेश

हर्फ़-ए-मुक़द्दर

इंजिला हमेश

एक कहानी इश्क़ की

इंजिला हमेश

जिस रोज़ तिरे हिज्र से फ़ुर्सत में रहूँगा

इनाम नदीम

हर बे-ख़ता है आज ख़ता-कार देखना

इम्तियाज़ साग़र

सड़क

इमरान शमशाद

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

ख़ुदा-परस्त हुए हम न बुत-परस्त हुए

इमदाद अली बहर

इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ

इमदाद अली बहर

आतिश-ए-बाग़ ऐसे भड़की है कि जलती है हवा

इमदाद अली बहर

मिरा सीना है मशरिक़ आफ़्ताब-ए-दाग़-ए-हिज्राँ का

इमाम बख़्श नासिख़

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

इलियास बाबर आवान

मस्जिद-ए-अहमरीं

इलियास बाबर आवान

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